लखनऊ। यूपी में शहरी स्थानीय निकाय चुनावों कराने का रास्ता आज सोमवार को साफ हो गया। आज सुप्रीम कोर्ट ने यूपी में निकाय चुनाव करवाने की अनुमति दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराने के लिए अधिसूचना जारी करने की अनुमति दे दी।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि हमारे आदेश के बाद यूपी सरकार ने यूपी पिछड़ा वर्ग आयोग के लिए एक अधिसूचना जारी की थी। पीठ ने आदेश में नोट किया, ‘हालांकि आयोग का कार्यकाल छह महीने का था। इसे 31 मार्च, 2023 तक अपना कार्य पूरा करना था ।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि आयोग की रिपोर्ट नौ मार्च को प्रस्तुत कर दी गई है। स्थानीय निकाय चुनावों के लिए अधिसूचना जारी करने की कवायद जारी है और इसे दो दिनों में जारी किया जाएगा। कोर्ट ने यह स्पष्ट करते हुए मामले का निस्तारण कर दिया कि उसके आदेश में दिए गए निर्देशों को मिसाल के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।
75 जिलों का दौरा करने के बाद तैयार हुई रिपोर्ट
जानकारी के अनुसार आयोग ने तीन महीने से कम समय में राज्य के सभी 75 जिलों का दौरा करने के बाद अपनी रिपोर्ट तैयार की है। यह बताया गया कि आयोग ने 5 दिसंबरए 2022 को अधिसूचित शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण पर कई विसंगतियां पाईं और उन्हें हटाने की सिफारिश की है।
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नगर निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण की रिपोर्ट स्वीकार करने के फैसले का स्वागत किया है।
उन्होंने कहा कि विधि सम्मत तरीके से आरक्षण के नियमों का पालन करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार समयबद्ध ढंग से नगरीय निकाय चुनाव कराने हेतु प्रतिबद्ध है।
मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट स्वीकार कर अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण के साथ नगरीय निकाय चुनाव कराने का आदेश स्वागत योग्य है।
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर राज्य सरकार ने निकाय चुनाव में पिछड़ों का आरक्षण तय करने के लिए पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया था। आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को कई दिन पहले ही सौंप दिया था जिसे सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर दिया था। इस पर कोर्ट ने सहमति दे दी है।