उत्तर प्रदेश में भाजपा ने लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है. पार्टी आलाकमान ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक मामले ज़िम्मेदारी दी है कि वो पार्टी के विधायकों और सांसदों की नाराज़गी को दूर करें। दरअसल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से यह शिकायत काफी समय से भाजपा के विधायकों, सांसदों को रही है कि वो उनकी बात नहीं सुनते और न ही उनको मिलने का समय देते हैं, उन्हें अपनी पार्टी के विधायकों और सांसदों से ज़्यादा ब्यूरोक्रेट्स पर भरोसा है. वो वही करते हैं जो वो मुख्यमंत्री को सलाह देते हैं.
योगी सुनने लगे पार्टी के विधायकों सांसदों की बातें
लेकिन ऊपर से आये निर्देश के बाद अब मुख्यमंत्री ने पार्टी के विधायकों और सांसदों को समय देना शुरू कर दिया है, उनकी बात भी सुनना शुरू कर दिया है. मुख्यमंत्री अब विकास कार्यों के लिए दिए जाने वाले आदेशों में पार्टी के विधायकों और सांसदों की सलाह को भी शामिल कर रहे हैं. उनकी मांगों के अनुरूप अधिकारीयों को हिदायतें भी दी जा रही हैं. बता दें कि मुख्यमंत्री में यह बदलाव पिछले दो चार दिनों से देखा जा रहा है, राजधानी लखनऊ में पंचम तल में इस बदलाव की बड़ी चर्चा हो रही है.
विकास कार्यों के लिए मांगे प्रस्ताव
पता चला है मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधायकों और सांसदों को अपने क्षेत्र में अपने हिसाब से विकास करवाने के लिए प्रस्ताव मांगे हैं, जिनमें विधायकों को तीन तीन करोड़ और सांसदों को पांच पांच करोड़ रूपये विकास कार्यों के लिए आबंटित किये जाएंगे। मुख्यमंत्री पिछले तीन चार दिनों में आठ मंडलों के सांसदों,विधायकों के साथ मुख्यमंत्री हाउस में मुलाकात कर चुके हैं. इस कवायद को 2024 में केंद्र में एकबार फिर से भाजपा सरकार और नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाना है. उत्तर प्रदेश चूँकि केंद्र में सत्ता हासिल करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण राज्य है इसलिए भाजपा यहाँ कोई कोर कसर छोड़ना नहीं चाहती।