लखनऊ। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सड़क हादसों में सबसे अधिक मौत आगरा में होती हैं। प्रदेश के सभी जिलों में कानपुर में सड़क हादसों में मृतकों की संख्या ज्यादा है। जबकि आगरा दूसरे नंबर पर है। दो एक्सप्रेस वे, 5 नेशनल हाईवे के आगरा में न केवल मृतकों बल्कि सड़क हादसों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है।
इन आंकड़ों को देखकर मुख्य सचिव ने प्रदेश के सभी जिलों के डीएम और ट्रैफिक से जुड़े सभी विभागों से रोड हादसों में 50 प्रतिशत कमी लाने के उपाय करने के लिए कहा है। 15 मार्च को सुप्रीम कोर्ट की कमेटी ऑन रोड सेफ्टी पर महत्वपूर्ण फैसले ले सकती है।
32.4 प्रतिशत हुई सड़क हादसों में बढ़ोत्तरी
सड़क हादसों में आगरा में जान गंवाने वालों की संख्या में इस साल 32.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। सड़क हादसों में 25 प्रतिशत की तेजी आई है। बीते साल जनवरी माह में 72 हादसों में 37 लोगों ने जान गंवाई थी। लेकिन इस साल 90 हादसों में 49 लोग जान गंवा चुके हैं।
बीते साल घायलों की संख्या 46 थी। लेकिन इस साल यह भी बढ़कर 53 हो गई। सड़क हादसों में कानपुर यूपी में अव्वल है। इस साल कानपुर में 12 प्रतिशत हादसे कम हुए। जबकि मृतकों की संख्या भी 1.7 प्रतिशत घटी है। इसके उलट आगरा में यह संख्या लगातार बढ़ती रही है।
इन 20 जिलों में 43 प्रतिशत लोग गंवा रहे हादसों में जान
पांच सालों के सड़क हादसों में सबसे अधिक मौतें उत्तर प्रदेश के 20 शहरों में हुई है। पूरे प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं में कुल मृतकों की संख्या का 43 प्रतिशत हिस्सा इन 20 जिलों में हैं। इन जिलों में कानपुर, आगरा, बुलंदशहर, प्रयागराज, लखनऊ, मथुरा, अलीगढ़, उन्नाव, हरदोई, बरेली, गोरखपुर, फिरोजाबाद, फतेहपुर, नोएडा, सीतापुर, बाराबंकी, मेरठ, गाजियाबाद, जौनपुर और रायबरेली हैं।
सड़क हादसों वाले शहरों को देखेंगे सुप्रीम कोर्ट जज
सुप्रीम कोर्ट कमेटी ऑन रोड सेफ्टी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे सबसे अधिक दुर्घटना मृत्यु वाले 20 जिलों का निरीक्षण करेंगे। इन जिलों में प्रभावी कार्रवाई न करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने के निर्देश प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने दिए हैं। 15 मार्च को मुख्य सचिव सुप्रीम कोर्ट कमेटी ऑन रोड सेफ्टी की दिल्ली में होने वाली बैठक में हिस्सा लेंगे।