UPPCL: यूपी पावर कॉरपोरेशन की लापरवाही के चलते यूपी में बिजली को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। बिजली खपत को लेकर सही आंकलन यूपीपीसीएल नहीं कर सका है। इसका कारण है कि पूरे प्रदेश में बिजली कटौती जोरों पर है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश के बाद भी शहरों में हर एक घंटे में बिजली जा रही है। बिजली कटौती को लेकर हाहाकार मचा है। माना जा रहा है कि अगस्त के महीने में हालात और अधिक खराब होंगे। अगर अभी नहीं संभले तो मुश्किल और अधिक बढ़ेगी।
हर घंटे में बिजली कटौती
मेरठ जैसे जिले जहां पर ऊर्जा राज्यमंत्री डॉ. सोमेंद्र तोमर रहते हैं। उस जिले में बिजली कटौती का बुरा हाल है। मेरठ की पॉश कालोनी शास्त्री नगर में रात में घंटों बिजली गायब रहती है। दिन में भी बिजली कटौती का बुरा हाल है। मेरठ ही नहीं यहीं हाल पश्चिम यूपी के सभी जिलों का है।
प्रदेश में बिजली खपत और संसाधनों का आकलन करने में पावर कॉरपोरेशन ने भारी लापरवाही की है। प्रदेश में उपभोक्ता और भार बढ़ता चला गया। लेकिन संसाधनों को नहीं बढ़ाया गया। जिसका नतीजा यह है कि लोड बढ़ने से अंधाधुंध बिजली कटौती होे रही है और पूरे प्रदेश में हाहाकार मचा हुआ है। अगस्त महीने में हालात और अधिक खराब होने की बात कही जा रही है।
जून में खपत का आंकड़ा बढ़ा
यूपी पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन ने नियामक आयोग को जो रिपोर्ट भेजी थी। उसमें बताया कि 2023:24 में अधिकतम खपत 27531 मेगावाट तक पहुंचने की संभावना है। इसी आधार पर सभी तैयारी की गई थी। जबकि इसी साल 13 जून 2023 को प्रदेश में खपत का आंकड़ा बढ़कर 27611 मेगावाट तक पहुंच गया। यह स्थिति तब है, जब ब्रेक डाउन के तहत ट्रांसफर फूंकने, तार टूटने, केबिल जलने, फ्यूज उड़ने, जंफर उड़ने जैसी घटनाएं लगातार हो रहीं हैं। इसकी वजह से इलाके में कई घंटे बिजली सप्लाई बाधित हो रही है।
विभागीय सूत्रों की माने तो निर्धारित शिड्यूल के तहत आपूर्ति सुनिश्चित की जाए तो खपत 29 हजार मेगावाट तक पहुंचेगी। यही हाल संसाधनों के विकास का है। मौजूदा संसाधन 5.50 करोड़ किलोवाट का भार उठाने की क्षमता रखते है। उपभोक्ताओं की संख्या प्रदेश में बढ़कर 3.52 करोड़ हो गई। जिससे भार बढ़कर 7.47 करोड़ किलोवाट पर पहुंच गया है।
निगमों की तरफ से उपकेंद्रों के उच्चीकरण पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। अब रिवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस) के तहत 35384 करोड़ रुपये से एबी केबल डालने और अन्य कार्य शुरू कराए गए हैं। लेकिन यह काम लंबे समय तक चलेगा।
बारिश में मुसीबत और बढ़ेगी
यूपी में बिजली को लेकर जून माह में लोगों को परेशानी हो रही है। जबकि बारिश का सीजन अभी बाकी है। ऐसे में बिजली की समस्या और बढ़ेगी। बारिश के मौसम में खपत बढ़ने से बिजली की कटौती और तेज होगी। क्योंकि वर्ष 2021-22 में 28 जुलाई को अधिकतम खपत 24798 पर पहुंची थी। वर्ष 2022-23 में नौ सितंबर को अधिकतम खपत 26589 मेगावाट तक पहुंची थी। ऐसे में जुलाई से सितंबर माह बिजली खपत के लिहाज से अहम है। बारिश के दिनों में स्थानीय उत्पादन गिरता है।
यूपी पीसीएल से सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता का कहना है कि पावर कॉरपोरेशन की हर रणनीति फेल रही है। उपकेंद्रों की क्षमता नहीं बढ़ाई गई। सिर्फ कनेक्शन और भार बढ़ाए गए है। 37 हजार से अधिक आउटसोर्स कर्मी कार्यरत हैं। इनको नियमित करने की दिशा में कोई काम नहीं किया गया। जब खपत 28 हजार के आसपास पहुंच सकती है तो उसी हिसाब से संसाधनों को बढाया जाना चाहिए।