यूपी में जल्द ही 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। मीडिया में चल रही ख़बरों के मुताबिक सीएम योगी आदित्यनाथ ने चुनाव को लेकर फ्री हैंड मांगा है। हालाँकि इन उपचुनावों के नतीजों का योगी सरकार कोई असर तो नहीं पड़ेगा, इसके बावजूद ये उपचुनाव न सिर्फ मुख्यमंत्री योगी बल्कि भाजपा के लिए भी एक बड़ा और कड़ा इम्तेहान है, यही वजह है कि योगी आदित्यनाथ कोई भी कसर नहीं छोड़ना चाहते, चूँकि इन उपचुनावों में उनकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है इसलिए उन्होंने इन उपचुनावों को निजी लड़ाई मान लिया है, यही वजह है कि वो चाहते हैं कि पार्टी आला कमान इन उपचुनावों को लेकर फ्री हैंड दे ताकि वो अपनी मर्ज़ी के मुताबिक सभी दसों सीटों के उपचुनाव का अभियान चला सकें।
कहा जा रहा है कि यूपी लोकसभा चुनाव में योगी आदित्यनाथ की पसंद के उम्मीदवार नहीं उतारे गए जिसका खामियाजा पार्टी को उठाना पड़ा। अगर उप चुनाव के नतीजे भाजपा के पक्ष में आते हैं तो विपक्ष को बड़ा झटका लगेगा। जानकारी के मुताबिक सीएम योगी ने पार्टी आला कमान से कहा है कि वह सभी सीटों पर उनकी पसंद के उम्मीदवार उतारे। लोकसभा चुनाव में उनकी सिफारिशों को नजरअंदाज करने से पार्टी को काफी नुकसान हुआ था। नतीजे घोषित होने के बाद कई नेताओं ने उन पर निशाना साधा था और खराब नतीजों के लिए योगी को जिम्मेदार ठहराया गया था। आरोप था कि उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं की अनदेखी की थी। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और दूसरे वरिष्ठ नेताओं ने उनकी कार्यशैली पर सवाल उठाए थे जिसके बाद बीजेपी आलाकमान को मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा था।
अब मुख्यमंत्री योगी ने प्रचार से लेकर प्रत्याशियों के चयन तक के लिए दिल्ली से खुली छूट मांगी है। उन इलाकों में योगी सक्रिय हो गए हैं जहां मतदान होना है। कहा जा रहा है कि 30 भरोसेमंद मंत्रियों को उन्होंने क्षेत्रों में उतार दिया है और निर्देश दिया है कि हफ्ते में कम से कम दो रातें वो अपने कार्यक्षेत्र में ही गुज़ारें और कार्यकर्ताओं से संवाद बनाएं. जिन 10 सीटों पर चुनाव होने हैं उनमें से पांच सीटों पर सपा, तीन पर बीजेपी और आरएलडी और निषाद पार्टी ने 1-1 सीट पर काबिज़ है।