Investment Tips: आज शार्ट टर्म में सुरक्षित निवेश केक लिए ट्रेजरी बिल को शानदार विकल्प माना जा रहा है। ट्रेजरी बिल का रिटर्न आमतौर पर एफडी से अधिक होता है। हर आदमी पैसा लगाने के बाद चाहता है कि उसको अधिक रिटर्न मिले। वह पैसा भी वहीं लगाना चाहता है जहां उसे अच्छा रिटर्न मिलने की संभावना होती है। उसका पैसा भी सुरक्षित रहता है। पैसे की सुरक्षा को प्राथमिकता देने के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) का चलन अधिक है। हालांकि, कुछ निवेश विकल्प और भी मौजूद हैं।
जिनमें एफडी से अधिक रिटर्न मिलता है। हालांकि उनमें रिस्क अधिक होता है। अगर एफडी से अधिक ब्याज शार्ट टर्म में चाहते हैं तो ट्रेजरी बिल (Treasury bills) में पैसा लगाना भी अच्छा विकल्प है। इनमें पैसा डूबने का खतरा नहीं रहता है। भारतीय रिजर्व बैंक हर सप्ताह ट्रेजरी बिल जारी करता है। लॉन्ग डेटेड बॉन्ड्स और ट्रेजरी बिल (T-Bills) में, पहले सिर्फ बैंक और बड़े वित्तीय संस्थान निवेश करते थे। लेकिन, अब रिटेल निवेशक इनमें पैसा लगा सकते हैं।
निश्चित ब्याज के और तय समय पर मूलधन भी वापस
सरकार विकास कार्यों के लिए पैसे के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के पास जाती है। आरबीआई सरकार के इस कर्ज को आरबीआई बॉन्ड या ट्रेजरी बिल के रूप में नीलाम करता है। इसे कोई भी व्यक्ति खरीद सकते हैं। इस तरह सरकार जो कर्ज ले रही है, उसका एक हिस्सा आप सरकार को दे रहे हैं। इस पर निश्चित ब्याज के साथ ही तय समय पर मूलधन सरकार वापस करके देती है। सरकार 1 साल के भीतर जो कर्ज वापस करती है उसे ट्रेजरी बिल या टी-बिल कहते है।
ट्रेजरी बिल तीन प्रकार
ट्रेजरी बिल तीन प्रकार के होते हैं। जिनमें -91 दिन, 182 दिन और 364 दिन के बिल होते हैं। टी-बिल को उनकी वास्तविक कीमत से डिस्काउंट पर जारी करते है। मैच्योरिटी पर निवेशक को वास्तविक कीमत मिलती है। अगर 91 दिन के टी बिल की वास्तविक कीमत 100 रुपए है और यह डिस्काउंट पर निवेशक को 97 पर मिलता है। 91 दिनों के बाद मैच्योरिटी पर उसे 100 रुपए वापस मिलेंगे। इस तरह उसे 3 रुपये का लाभ होगा। ट्रेजरी बिल में न्यूनतम 25,000 रुपए का निवेश करना जरूरी होता है।