चुनाव आते ही दो शब्द सबसे ज़्यादा ट्रेंड करने लगते हैं, एक ओपिनियन पोल दूसरा एग्जिट पोल. ओपिनियन पोल तो चुनाव के दौरान भी जारी रहते हैं क्योंकि अब चुनाव हफ्ते दो हफ्ते का नहीं बल्कि महीनों का होने लगा है। हाँ एग्जिट पोल पर अब निर्वाचन आयोग ज़रूर थोड़ा सख्त हो गया है, हालाँकि उसके भी मीडिया ने कई तरीके निकाल लिए हैं। फिर भी ताज़ा खबर ये है कि निर्वाचन आयोग ने 19 अप्रैल यानि पहले चरण के मतदान के दिन शाम सात बजे से अंतिम चरण के मतदान के दिन यानि 1 जून शाम 6:30 बजे तक किसी भी माध्यम पर एग्जिट पोल दिखाने पर पाबन्दी लगा दी है.
इसमें लोकसभा के अलावा आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और ओडिशा में होने वाले विधानसभा चुनावों से जुड़े एग्जिट पोल भी शामिल हैं, इन एग्जिट पोल्स को प्रकाशित करने या प्रचारित करने पर पूरी तरह रोक लगा दी गयी है। निर्वाचन आयोग से मिली जानकारी के मुताबिक ये निषेधाज्ञा 19 अप्रैल को सुबह 7 बजे से शुरू होगी और 1 जून को शाम 6:30 बजे तक लागू रहेगी। इस दौरान किसी भी प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक या किसी अन्य टेलीकास्ट या ब्रॉडकास्ट सिस्टम समेत सभी प्रकार के मीडिया पर ये निषेधाज्ञा लागू रहेगी.
इसके अलावा लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए वोटिंग प्रक्रिया ख़त्म होने तक 48 घंटे की अवधि के दौरान प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक या किसी अन्य टेलीकास्ट या ब्रॉडकास्ट माध्यम पर ओपिनियन पोल या किसी दूसरे सर्वे के परिणामों समेत किसी भी चुनाव-संबंधित सामग्री के प्रदर्शन पर पाबन्दी लागू रहेगी। आम तौर पर देखा गया है कि वोटिंग वाले दिन सोशल मीडिया पर तरह तरह के सवाल पूछकर सर्वे चलाये जाते है और सबसे बड़ी बात तो ये होती है कि जिस सीट पर चुनाव होतें हैं उसी के पास वाली सीट पर सत्ता पक्ष की चुनावी रैली होती जिसका लगभग हर टीवी चैनल पर दिनभर प्रसारण चलता है। निर्वाचन आयोग इस मामले में चुप ही रहता है।