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I.N.D.I.A की बढ़ती दरारें

आर्टिकल/इंटरव्यूI.N.D.I.A की बढ़ती दरारें

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अमित बिश्नोई
I.N.D.I.A में पड़े डॉट्स अब डाउट बनने लगे हैं, विपक्ष के इस गठबंधन में सेंधमारी की खबरें सामने आने लगी हैं, गठबंधन में जिन दरारों की पहले ख़बरें थीं वो अब बड़ी हो रही हैं और लोगों को नज़र भी आने लगी हैं. राहुल गाँधी भारत को जोड़ने और न्याय दिलाने की यात्रा पर लेकिन जिस गठबंधन को जोड़ने में उन्होंने अब तक एक बड़ी भूमिका निभाई थी उसे तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की तरफ से तोड़ने की ख़बरें आने लगी हैं. राहुल गाँधी की यात्रा अब बंगाल में प्रवेश करने वाली है, ये लेख जब तक आपको उपलब्ध होगा, राहुल गाँधी कूचबिहार में प्रवेश कर चुके होंगे। मगर बंगाल में प्रवेश से पहले इंडिया गठबंधन को एक शॉकिंग न्यूज़ मिली. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने साफ़ एलान कर दिया कि TMC राज्य की सभी सीटों पर लोकसभा का चुनाव लड़ेगी, एक भी सीट पर किसी भी पार्टी के साथ समझौता नहीं करेगी, वहीँ आज ही पंजाब में आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी साफ़ कर दिया कि पंजाब में किसी से समझौता नहीं।

पंजाब के लिए भगवंत मान की बात को कांग्रेस भले ही गंभीरता से न ले लेकिन ममता के एलान को कांग्रेस पार्टी ने बड़ी गंभीरता से लिया है और इसीलिए ममता के बयान के बाद कांग्रेस पार्टी के नेता जयराम रमेश ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि ममता के बिना तो इंडिया गठबंधन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। ये एक बड़ा बयान है और इस बयान में कहीं न कहीं ये उम्मीद भी छुपी हुई है कि बात अभी बन सकती है. ममता के बयान पर इतनी सधी और झुकी हुई प्रतिक्रिया का मतलब कांग्रेस पार्टी ममता बनर्जी को नाराज़ नहीं करना चाहती, अधीर रंजन चौधरी की बात अलग है, उनका तो ममता के साथ छत्तीस का आंकड़ा है लेकिन कांग्रेस पार्टी का टॉप नेतृत्व ममता के खिलाफ कभी भी अधीर रंजन जैसी भाषा नहीं बोलता। एक तरह से देखा जाय तो इंडिया गठबंधन की नीव रखने वाली ममता बनर्जी ही हैं, शुरू में कांग्रेस और भाजपा से अलग एक गठबंधन के लिए ममता बनर्जी ने कोशिश शुरू की थी जिसने बाद में इंडिया गठबंधन का रूप ले लिया और फिर ये गठबंधन 28 पार्टियों का हो गया, हालाँकि ममता बनर्जी इंडिया गठबंधन की एक्टिविटीज से धीरे धीरे किनारे होती गयीं, बावजूद इसके कि कांग्रेस के टॉप नेतृत्व से उनकी बात चीत चलती रही.

ममता के इस बयान पर राहुल गाँधी की प्रतिक्रिया भी समझने वाली है, राहुल ने कहा कि कुछ लोग उनकी तरफ से हैं, कुछ लोग मेरी तरफ से हैं जो कुछ न कुछ बोलते रहते हैं लेकिन मेरी उनसे और कांग्रेस नेतृत्व से बातचीत जारी है, सीट शेयरिंग पर भी बात चल रही है जिसपर जल्द ही फैसला हो जायेगा इसमें चिंता करने वाली कोई बात नहीं है. राहुल पश्चिम बंगाल को लेकर काफी आशावान नज़र आ रहे हैं. वैसे भी कांग्रेस के लिए बंगाल में खोने को कुछ भी नहीं है. उसे बंगाल से जो भी मिलेगा बोनस होगा। ममता बनर्जी भी बंगाल के भविष्य की राजनीती को लेकर ही सोच रही हैं. ममता बनर्जी की नाराज़गी इस बात पर है कि भारत जोड़ो न्याय यात्रा बंगाल से भी निकल रही है. असम में यात्रा के दौरान राहुल गाँधी के जो तेवर नज़र आये हैं उन्हें ममता काफी करीब से देख रही हैं और आने वाले दिनों में इन तेवरों से बदलते परिणामों के बारे में भी सोच रही हैं.

एक बात याद रखना चाहिए कि पश्चिम बंगाल से लेफ्ट की सत्ता उखाड़ने में ममता बनर्जी ही सबसे मुख्य भूमिका में थी मगर इस भूमिका तक पहुँचने में उनका कांग्रेस पार्टी का वो कार्यकाल भी काफी सहायक रहा जिसके दम पर वो बंगाल की शेरनी बनीं, बाद में उन्होंने कांग्रेस से नाता तोड़ लिया लेकिन जब तक वो कांग्रेस में थी उनका ही जलवा था. वो आज भी कांग्रेस का प्रोडक्ट ही मानी जाती हैं. ममता भी कहीं न कहीं ये सोच रही होंगी कि राहुल गाँधी की देश में बढ़ती स्वीकार्यता और लोकप्रियता का बंगाल में उनकी राजनीती पर भी असर पड़ सकता है. हो सकता उनका आजका बयान शायद इसी लाइन पर हो, वो कांग्रेस को बंगाल में फिर से कोई स्थान हासिल करने नहीं देना चाहती हों. लेफ्ट भले ही इस राज्य में आधार खो रहा हो लेकिन उसका कैडर आज भी मौजूद है जो ममता के साथ कभी नहीं जा सकता। भाजपा के बंगाल में उत्थान की शायद यही बड़ी वजह है. कांग्रेस पार्टी दशकों से बंगाल से बाहर है इसके बावजूद राज्य में उसकी मौजूदगी हमेशा रहती है, ममता नहीं चाहेंगी कि ये मौजूदगी कोई बड़ा रूप ले. वरना आज अपने बयान में ममता ने यात्रा के निमंत्रण को लेकर जो बात कही उसपर इस तरह का बयान तो नहीं आ सकता कि अकेले चुनाव लड़ेंगे। यात्रा के लिए कांग्रेस कह रही है निमंत्रण भेजा, सिर्फ ममता को ही नहीं बल्कि गठबंधन में शामिल सभी नेताओं को भेजा, ऐसे में ममता का आरोप थोड़ा बचकाना लगता है, हां इस बात में ज़रूर दम लगता है कि राहुल भले ही न डरे हों मगर ममता को ED से डर लगने लगा है, TMC के दर्जनों नेता जिसमें मंत्री भी शामिल हैं ED के निशाने पर हैं. तो क्या पश्चिम बंगाल में कांग्रेस से दूरी बनाना ममता की मजबूरी है.

ममता के इस एलान के कई तरह से अर्थ निकाले जा सकते हैं लेकिन जयराम रमेश की ये बात बिलकुल सही है कि ममता के बिना इंडिया गठबंधन की कल्पना नहीं की जा सकती। यूपी में मायावती के अकेले जाने पर कांग्रेस को या इंडिया गठबंधन को कोई ज़्यादा फर्क नहीं पड़ने वाला क्योंकि समाजवादी पार्टी साथ है, इसी तरह आम आदमी पार्टी भी अगर किनारा करती है तब भी मैनेज हो सकता है लेकिन ममता के बिना मैनेज होना मुश्किल है. बात सिर्फ सीटों की नहीं बल्कि इंडिया गठबंधन के आधार की है , इंडिया अलायन्स का आधार AAP कभी नहीं थी, मायावती कभी नहीं थी, मगर ममता तो इंडिया का आधार हैं. रही बात भगवंत मान की तो कहीं न कहीं दिल्ली से ही कुछ इशारा गया होगा तभी भगवंत मान का ऐसा बयान आया. केजरीवाल से आप कुछ भी उम्मीद कर सकते हैं. अभी देखना है कि बंगाल पहुँचने पर राहुल गाँधी लोगों को क्या सन्देश देते हैं, आगे इंडिया गठबंधन का क्या होगा, काफी कुछ इसपर भी निर्भर करेगा।

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