अमित बिश्नोई
मुंबई के लिए घरेलू क्रिकेट में रनों के अम्बार लगाने वाले सरफ़राज़ खान ने आज अपना टेस्ट पदार्पण किया और अपने पहले ही टेस्ट की पहली ही पारी में उन्होंने एक छाप ज़रूर छोड़ी। सरफ़राज़ ने 62 रनों की पारी खेली लेकिन यहाँ पर रनों से ज़्यादा एटीट्यूड की अहमियत है. सरफ़राज़ ने जिस एटीट्यूड के साथ बल्लेबाज़ी की वो कमेंट्री बॉक्स में बैठे दिग्गज अनिल कुंबले को बहुत पसंद आयी, उन्हें कहीं से नहीं लगा कि 26 साल का ये नौजवान अपना पहला टेस्ट खेल रहा है। कुंबले को सरफ़राज़ में एक क्लियर विजन नज़र आया, उन्हें क्या करना है ये उन्हें अच्छी तरह से पता है। रोहित शर्मा को भी सरफ़राज़ का इस तरह से खेलना पसंद आ रहा था यही वजह है कि जिस तरह से वो रन आउट हुए वो उन्हें कतई पसंद नहीं आया और उन्होंने अपनी नाराज़गी का इज़हार भी किया. बेशक ये नाराज़गी रविंद्र जडेजा को लेकर थी जिनकी एक गलत काल से एक बड़ी होती साझेदारी टूट गयी.
रोहित को मालूम है कि टीम को इस साझेदारी की ज़रुरत थी. टीम ने भले ही 326 रन अब तक बना लिए हैं लेकिन इससे पहले भी अच्छी पोजीशन में आकर मैच फिसला है, निचले क्रम ने धोखा दिया है, रोहित चाहते थे कि ये साझेदारी और बड़ी हो लेकिन एक गलत कॉल ने रोहित को निराश किया। बहरहाल बात सरफ़राज़ की हो रही है तो उसने अपनी पहली ही टेस्ट पारी में भारत के लिए सबसे आक्रामक फिफ्टी बनाने का सम्मान हासिल किया, हालाँकि इससे पहले हार्दिक पंड्या भी 48 गेंदों पर पचास रन जड़ चुके हैं.
सरफ़राज़ खान मैदान पर जब बल्ला लेकर उतरे तो उनपर अपेक्षाओं का भारी बोझ था, डोमेस्टिक में वो 70 रनों की औसत से रन बनाकर टेस्ट टीम में पहुंचे थे , ऐसे में हर वो शख्स सरफ़राज़ से एक बेहतर स्टार्ट की उम्मीद लगाए हुए था जो पिछले दो सालों से सरफ़राज़ खान के लिए वकालत कर रहे थे. यकीनन आज वो खुश होंगे कि उन्होंने सही खिलाड़ी के लिए वकालत की. सरफ़राज़ एक क्रिकेटिंग परिवार से ताल्लुक रखते हैं, उनके पिता नौशाद खान ने भी फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेली है, छोटा भाई मुशीर खान भी अभी हाल ही में हुए अंडर-19 वर्ल्ड कप में अपनी बल्लेबाज़ी के झंडे गाड़ चुका है. पिता नौशाद खान सरफ़राज़ के साथ लगातार मेहनत करते रहे हैं, मौके न मिलने से वो कभी मायूस नहीं हुए, हमेशा यही बात कही कि जब समय आएगा तो सरफ़राज़ को मौका ज़रूर मिलेगा। आज वो समय आया, मैच से पहले जब सरफ़राज़ का नाम फाइनल टीम आया तो उन्हें रोते हुए सभी ने देखा। उन्होंने सरफ़राज़ को पहला टेस्ट अर्धशतक भी लगाते देखा और रन आउट होते हुए भी लेकिन वो खुश थे, हाँ स्टेडियम में मौजूद माँ को ज़रूर इस तरह आउट होने का अफ़सोस रहा जो कैमरे में भी नज़र आया.
सरफ़राज़ खान ने अपने पहले इम्तेहान का पर्चा तो पास कर लिया है लेकिन ये ज़रूरी नहीं कि वो पूरा इम्तेहान पास कर लेंगे, इसके लिए उन्हें काफी एकाग्रता और मेहनत की ज़रुरत है. क्योंकि अक्सर देखा गया है कि एक अच्छा स्टार्ट मिलने के बाद खिलाड़ी पर अपेक्षाओं का दबाव बढ़ जाता है. वैसे भी टीम इंडिया में टिकना एक कठिन काम है, पीछे से दरवाज़ा खटखटाने वाले बहुत से खिलाड़ी हैं जो सरफ़राज़ की तरह मौके की तलाश में हैं, ये सरफ़राज़ की खुशनसीबी है कि टीम मैनेजमेंट भविष्य की टीम तैयार करने के लिए नए खिलाडियों को लगातार मौके दे रहा है. इसी मैच में दो खिलाडियों को टेस्ट कैप मिली। यशस्वी अभी हाल ही में टेस्ट टीम का हिस्सा बने. सरफ़राज़ के लिए टीम में एक अवसर बना क्योंकि विराट कोहली श्रंखला में नहीं खेल रहे हैं, श्रेयस अय्यर बाहर हैं और के एल राहुल अभी फिट नहीं हुए हैं। सरफ़राज़ को अगर टीम में टिकना है तो आगे भी इसी तरह की पारियां खेलनी पड़ेंगी और लगातार खेलनी पड़ेंगी। सरफ़राज़ का दूसरा टेस्ट अभी फील्डिंग के दौरान होगा। टीम इंडिया में अब औसत फील्डिंग की कोई जगह नहीं है. अपने डील डौल की वजह से सरफ़राज़ को क्षेत्ररक्षण के दौरान बहुत मुस्तैद रहना होगा क्योंकि खराब फील्डिंग भी कई बार अच्छे बल्लेबाज़ को टीम में टिकने नहीं देती। सरफ़राज़ की ये पहली टेस्ट पारी थी, इसलिए उनके प्रदर्शन पर बहुत कुछ अभी नहीं कहा जा सकता, यहाँ बात सिर्फ उनके एट्टीट्यूड की हुई है जिसे सबने पसंद किया है.