Personal Loan and Credit Card: भारतीय रिजर्व बैंक RBI द्वारा पर्सनल लोन से जुड़े नियमों को कड़ा किए जाने से लोन ग्रोथ पर असर पड़ेगा। इसका कारण बैंकों और एनबीएफसी को अब ऐसे कर्ज के एवज में अधिक कैपिटल रखने की जरूरत पड़ेगी। बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) के लिए असुरक्षित माने जाने वाले पर्सनल लोन लेना अब आम लोगों के लिए आसान नहीं होगा। ऐसे ही क्रेडिट कार्ड के नियम सख्त होने के बाद इसकी भी मुश्किल बढ़ गई है।
अनसिक्योर्ड लोन पर केंद्रीय रिजर्व बैंक RBI की ओर से रिस्क वेटेज बढ़ाए जाने पर पर्सनल लोन के ग्रोथ पर चिंताएं जताई जा रही हैं। सबका अनुमान है कि इससे पर्सनल लोन में कमी आएगी। बैंकों ने ऐसा कुछ कहा है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी Fitch Ratings ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक के बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों(NBFCs)के लिए असुरक्षित माने जाने वाले पर्सनल लोन से जुड़े नियम सख्त किए जाने से लोन ग्रोथ पर असर पड़ेगा। इसका कारण बैंकों और एनबीएफसी को ऐसे कर्ज के एवज में अधिक धनराशि रखने की जरूरत होगी। रिपोर्ट में कहा कि हाल के सालों में कंज्यूमर लोन बढ़ा है। ऐसे में मानना है कि बैंकिंग सिस्टम के स्तर पर कंज्यूमर लोन से पैदा होते खतरे को नियंत्रित करने के लिए इस मामले में सख्ती सकारात्मक है।
RBI ने ये लिया फैसला?
भारतीय रिजर्व बैंक RBI ने पिछले हफ्ते बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों NBFC के लिए व्यक्तिगत और क्रेडिट कार्ड कर्ज जैसे असुरक्षित माने जाने वाले लोन के नियमों को कड़ा किए जाने की घोषणा की है। संशोधित मानदंड में जोखिम भार में 25 फीसद वृद्धि की गई है। उच्च जोखिम भार का मतलब व्यक्तिगत कर्ज के मामले में बैंकों को अलग से अधिक धनराशि का प्रावधान करना होगा। इससे बैंक किसी प्रकार के दबाव की स्थिति में उससे निपटने में अधिक सक्षम होंगे। इसी के साथ इस कदम से लोगों के लिए व्यक्तिगत कर्ज और क्रेडिट कार्ड के जरिए लोन लेना महंगा होगा।
कितना बढ़ा है पर्सनल लोन?
फिच के मुताबिक, बैंकों के असुरक्षित माने जाने वाले क्रेडिट कार्ड कर्ज और व्यक्तिगत लोन में चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में सालाना आधार पर 29.9 फीसदी और 25.5 फीसदी की वृद्धि हुई है। जबकि सभी कर्ज को मिलाकर कुल वृद्धि 20 फीसदी रही है। रिपोर्ट में कहा है कि
unsecured consumer loan का बढ़ना अधिक जोखिम लेने का संकेत देता है। इसके कारण Banks और NBFI सुरक्षित retail loan को लेकर प्रतिस्पर्धा के बीच शुद्ध ब्याज मार्जिन भी बचाए रखना चाहते हैं।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का क्रेडिट कार्ड कर्ज कम है लेकिन वे एनबीएफआई को लोन देने को उत्सुक दिखते हैं। दूसरी ओर निजी क्षेत्र के बैंकों के लिए स्थिति इसके उलट है। रिपोर्ट में कहा है कि कुल मिलाकर इस बदलाव से बैंक प्रणाली में ‘कॉमन’ इक्विटी शेयर पूंजी(टियर-1) अनुपात 0.60 से 0.70 फीसद कम होने का अनुमान है। यह वह नियामकीय पूंजी है, जो नुकसान की स्थिति में उससे निपटने में सक्षम होती है।
बैंक ऑफ इंडिया (BoB) ने कहा, buffer capital पर पड़ेगा असर
बैंक ऑफ बड़ौदा के CEO और मैनेजिंग डायरेक्टर देवदत्त चंद ने कहा, बैंक के कैपिटल buffer पर 0.50 % तक का प्रभाव पड़ेगा। बैंक capital एडिक्वेसी पर 0.40-0.50 फीसद प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा यह प्रभाव इंडस्ट्री के हिसाब से है। 30 सितंबर की स्थिति के अनुसार बैंक की पूंजी पर्याप्तता संतोषजनक स्तर 15.30 प्रतिशत के स्तर पर थी।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) को लोन में कमी की आशंका
भारतीय स्टेट बैंक SBI चेयरमैन दिनेश कुमार खारा ने कहा कि आरबीआई की तरफ से नियमों को कड़ा किए जाने से बैंक के अनसिक्योर्ड माने जाने वाले लोन देने के मामलों में कमी आएगी। खारा ने कहा कि हाई रिस्क वेटेज़ के कारण दिसंबर तिमाही में शुद्ध ब्याज मार्जिन पर 0.02 फीसद से 0.03 फीसद का प्रभाव पड़ेगा। लेकिन सही तस्वीर अगली तिमाही में उभरेगी। उन्होंने कहा, ‘‘हम जो कर रहे थे, वह जारी रहेगा। लेकिन उसमें कमी आएगी। कोष की लागत बढ़ने के साथ ऐसे कर्ज पर ब्याज दरें बढ़ेंगी। एक पूंजीगत लागत होगी जिसे कुछ नए मानदंडों के कारण बैंक को वहन करना होगा।’