बिहार से उठा रामचरितमानस विवाद यूपी पहुंचकर और भी बढ़ता जा रहा है. अब इस मामले में विश्व हिंदू परिषद भी शामिल हो गया है. विहिप ने इस विवाद पर सीधे सीधे समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल से चुनाव लड़ने का अधिकार ही छीन लेने की बात कही है, विहिप ने चुनाव आयोग से मांग की है कि इन दोनों पार्टियों का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जाय, VHP के मुताबिक उन्होंने चुनाव आयोग से इस विषय पर मुलाकात के लिए समय भी मांगा है।
अखिलेश ने किया स्वामी प्रसाद मौर्य का उत्साहवर्धन
VHP ने गुरुवार को कहा चूँकि इन दोनों पार्टियों के नेताओं ने रामचरितमानस पर विवादित टिप्पणी कर हिन्दुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाया है। यह चुनाव आयोग के नियमों सीधे सीधे उल्लंघन है, इसलिए इन दलों की मान्यता रद्द की जानी चाहिए। विहिप ने कहा दोनों ही दलों ने विवादित बयान देने वाले नेताओं के खिलाफ किसी भी तरह की अबतक कोई कार्रवाई नहीं की है जिससे इन दलों की मानसिकता पता चलती है. विहिप ने कहा कि सपा मुखिया ने तो स्वामी प्रसाद मौर्य का विवादित बयानबाज़ी पर उत्साहवर्धन तक किया।
राम चरित मानस के पन्ने जलाने का आरोप
VHP के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने बीते दिनों न सिर्फ रामचरितमानस के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की बल्कि उसके पन्ने भी जलाये, इससे देश के बहुत बड़े वर्ग की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है। आलोक कुमार का दावा है कि स्वामी प्रसाद ने यह सबकुछ अखिलेश यादव के इशारे पर किया। उनके खिलाफ कार्रवाई न करना दर्शाता है कि समाजवादी पार्टी का इस मुद्दे पर स्वामी प्रसाद मौर्य को समर्थन मिला हुआ है। इन दोनों नेताओं के रामचरित मानस पर अपमानजनक टिप्पणियों से हिन्दू समाज आक्रोशित है. सपा और राजद की मान्यता रद्द करने की मांग को लेकर विहिप नेता ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29A का ज़िक्र भी किया। बता दें कि हर एक दल को हलफनामे में यह देना होता है कि वह धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र के सिद्धांतों का सही ढंग से पालन करेगी।