पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में हुई समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक रविवार को इस संकल्प के साथ समाप्त हुई कि 2024 में प्रदेश की सभी 80 सीटों पर समाजवादी पार्टी मौजूदा सहयोगियों के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी और ज़्यादा से ज़्यादा सीट जीतने की कोशिश करेगी। बैठक में इस संकल्प को लेकर कई प्रस्ताव भी पास हुए और कुछ रणनीतिक खाके भी तैयार किये गए. 2024 में कैसे सपा और उसके सहयोगियों को एक मज़बूत प्लेटफॉर्म दिया जाय इस पर भी विस्तार से बात हुई.
फॉलो किया जायेगा मैनपुरी मॉडल
जानकारी के मुताबिक इस बैठक में तय किया गया कि आने वाले लोकसभा चुनाव में मैनपुरी मॉडल को फॉलो किया जायेगा और जो कमज़ोर बूथ होंगे उनपर ज़्यादा ध्यान दिया जायेगा कि कैसे वहां पर सपा का वोट प्रतिशत बढे. अपने इस लक्ष्य को पाने के लिए पार्टी ने एक त्रिस्तरीय रणनीति बनाई है जिसके अंतर्गत इसको लेकर हर महीने कोई न कोई बड़ा आयोजन किया जायेगा. इसके अलावा पार्टी कार्यकर्त्ता भाजपा सरकार की नाकामियों को लेकर सड़क से लेकर सदन में आवाज़ उठाएंगे। आमजन के उत्पीड़न मुद्दे जनता के बीच उठाये जायेंगे, इसके लिए पार्टी के सभी विधायक, सांसद और पार्टी पदाधिकारी आगे आकर नेतृत्व करेंगे।
दलितों को जोड़ने की विशेष कोशिश
समाजवादी पार्टी ने अपने परंपरागत वोट बैंक मुस्लिम यादव के साथ ही दलितों को विशेष तौर पर जोड़ने की कोशिश करेगी, इसके लिए जातिवार जनगणना के मुद्दे को और तेज़ी के साथ उठाया जायेगा। अखिलेश यादव आजकल अपने बयानों और भाषणों में बाबा साहेब के नाम के साथ ही कांशीराम का नाम भी लेते हैं. यह सपा की दलितों को पार्टी से जोड़ने का एक रणनीतिक हिंसा है. इसी क्रम में यह भी फैसला लिया गया है कि दलित बस्तियों में दलित नेताओं के साथ अन्य जाती के नेताओं को भी वहां भेजा जाय और सोशल इंजीनियरिंग के फॉर्मूले को मज़बूत बनाया जाय.