बिहार में नितीश सरकार के शिक्षा मंत्री का राम चरित मानस पर दिए गए बयान पर बवाल मच गया है, हालाँकि मंत्री चंद्रशेखर अपने दिए गए बयान पर अब भी अटल हैं. दरअसल उन्होंने नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के 15वें दीक्षांत समारोह में राम चरित मानस को समाज में नफरत फैलाने वाला ग्रंथ बताते हुए कहा था कि रामचरित मानस समाज को जोड़ने की बजाए तोड़ने वाला ग्रंथ है, जो समाज में विसंगतियां फैलाता है। अपने बयान में उन्होंने आगे कहा था कि यह दलितों, पिछड़ों और महिलाओं को उनके हक दिलाने से भी रोकता है। उनके इस बयान के बाद अयोध्या को संत परमहंस आचार्य ने उनकी जीभ काटने वाले को 10 लाख का इनाम देने की घोषणा की है. बता दें कि यह वही संत परमहंस आचार्य हैं जिन्होंने कुछ दिनों पहले ही शाहरुख़ का वध करने की बात भी कही थी.
भाजपा ने वोटबैंक की राजनीती का लगाया आरोप
वहीँ भाजपा ने इस मामले में मुख्यमंत्री नितीश कुमार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि राजद वोटबैंक के की राजनीति कर रही है, अपने धार्मिक वोट बैंक को खुश करने के लिए वे इतने निम्न स्तर पर उतरकर हिंदू धार्मिक भावना के खिलाफ बयानबाजी का सहारा ले रहे हैं। वहीं बिहार के शिक्षा मंत्री ने इस विवाद पर तर्क देते हुए कहा कि अमेरिका ने जिस शख्स को ज्ञान का प्रतीक कहा, उस भीमराव अंबेडकर ने मनुस्मृति क्यों जलाई? जीभ काटने पर इनाम घोषित करने का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि हमारे पुरखे जीभ कटवाते रहे हैं इसलिए हम बयान पर अडिग हैं।
देश को नफरत नहीं मोहब्बत महान बनाएगा
चंद्रशेखर ने आगे कहा मनुस्मृति को इसलिए जलाया गया क्योंकि उसमें समाज के एक बड़े तबके के खिलाफ अपशब्द लिखे गए थे। उन्होंने मीडिया से सवाल किया कि रामचरितमानस के किस अंश का प्रतिरोध हुआ और क्यों हुआ? उन्होंने गुरु गोलवलकर के बंच ऑफ थॉट्स के साथ ही मनुस्मृति और रामचरितमानस को नफरत फैलाने वाले ग्रंथ बताया। उन्होंने कहा कि देश को नफरत नहीं मोहब्बत महान बनाएगा।