समाजवादी प्रमुख अखिलेश यादव ने आज कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने का निमंत्रण सार्वजानिक रूप से ठुकरा दिया। निमंत्रण तो ठुकराया ही साथ ही कांग्रेस और भाजपा को एक ही विचारधारा का बता दिया। हालाँकि उन्होंने कहा कि निमंत्रण की बातें बस मीडिया में ही हैं, उन्हें तो कोई निमंत्रण प्राप्त नहीं हुआ. समाजवादी पार्टी की सहयोगी रालोद ने पहले ही कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा से किनारा कर लिया है.
अखिलेश को नहीं मिला निमंत्रण
दरअसल पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में सपा प्रमुख की यह प्रतिक्रिया आयी है, पत्रकारों ने उनसे सवाल किया था कि क्या वह भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होंगे, क्या उन्होंने कांग्रेस पार्टी यात्रा में शामिल होने के निमंत्रण को स्वीकारा है? अखिलेश ने उलटे ही पत्रकारों पर सवाल दाग दिया कि अगर आपके पास निमंत्रण पत्र आया हो तो कृपया मुझे भी भेज दीजिये, वैसे मुझे कोई निमंत्रण नहीं मिला। अखिलेश ने भाजपा और कांग्रेस को एक बताते हुए कहा कि उनकी पार्टी की विचारधारा अलग है, हालाँकि अखिलेश ने कांग्रेस को भारत जोड़ो यात्रा की सफलता की शुभकामनायें ज़रूर दीं।
गठबंधन सियासत पर बहस
दरअसल भारत जोड़ो यात्रा में सपा-बसपा और दूसरी पार्टियों को भेजे गए भारत जोड़ो यात्रा के निमंत्रण को सियासी हलकों में गठबंधन सियासत से जोड़ा जा रहा है, कहा जा रहा है कि यह 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की विपक्ष को एक करने की पहल है, कांग्रेस पार्टी चाहती है कि यूपी में समूचा विपक्ष एकजुट होकर भाजपा से मुकाबला करे. लेकिन अखिलेश और मायावती के बर्ताव से यही लग रहा है कि वो कांग्रेस यूपी में अपना जनाधार बढ़ाने देना नहीं चाहते। रालोद के बाद अखिलेश के इंकार से यह स्पष्ट हो गया है भविष्य में किसी चुनावी गठबंधन की कोई सम्भावना नहीं है.