रोटी कपड़ा और मकान। जीवन की तीन सबसे बड़ी ज़रूरतें। हर इंसान पहले रोटी का जुगाड़ करता है, फिर तन ढकने और फिर रहने के लिए एक छत का। कहने का मतलब ये है कि अगर रोटी और कपड़े का इंतज़ाम हो जाय तो पहली ज़रुरत घर की होती है। देश में जिस तरह से घरों की मांग बढ़ी है उससे यही लग रहा है कि रोटी और कपडे के प्रति अब लोग आश्वस्त हो चुके हैं और अब वो अपने आशियाने की तलाश में निकल पड़े हैं. रियल्टी ब्रोकरेज फर्म प्रॉपटाइगर की माने तो घरों की डिमांड इतनी बढ़ी है कि पिछले 10 साल का रिकॉर्ड टूट चूका है.
रियल्टी सेक्टर के धुरंधरों के मुताबिक देश के आठ बड़े शहरों में पिछले साल यानि 2023 में घरों की बिक्री बहुत बड़ा उछाल आया और 33 प्रतिशत की बढ़त के साथ 4.11 लाख घरों की बिक्री हुई. ये 2013 के बाद सर्वाधिक है. 2013 में 4,50,361 घर बिके थे। यह हालत तो तब है जब होम लोन महंगा है, घरों की कीमत में 30 फीसदी तक की बढ़ गयी है इसके बावजूद डिमांड बढ़ना आश्चर्यजनक है. जानकारों के मुताबिक कोविड-19 महामारी के बाद जो मांग दबी हुई थी उसने एक ट्रिगर के रूप में काम किया जिसने प्रॉपर्टी बाजार को अभूतपूर्व ऊँचाई तक पहुंचा दिया। इसके अलावा दरों में बढ़ोतरी रोकने के भारतीय रिजर्व बैंक के फैसले ने भी खरीदार का विश्वास बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पिछले साल के बिक्री आंकड़ों की तुलना अगर 2022 से करें तो मुंबई में मकानों की बिक्री बढ़कर 1,41,480 इकाई हो गई जो 2022 में 1,09,677 इकाई थी।
नए घरों की सप्लाई 1,78,684 इकाई हो गई जो 2022 में 1,65,634 इकाई थी। पुणे में घरों की बिक्री 82,696 इकाई हो गई। यहां नए घरों की संख्या 40 प्रतिशत बढ़कर 1,05,698 इकाई हो गई। अहमदाबाद में घरों की बिक्री 51 प्रतिशत बढ़कर 41,327 इकाई हो गई और नए घरों की संख्या 71 प्रतिशत बढ़कर 55,877 इकाई हो गई। बेंगलुरु में भी यही हाल है, यहाँ भी घरों की बिक्री 44 प्रतिशत बढ़कर 44,002 इकाई हो गई साथ ही नए घरों की आपूर्ति 14 प्रतिशत बढ़कर 47,965 इकाई हो गई। चेन्नई में आशियानों की बिक्री पांच प्रतिशत बढ़कर14,836 इकाई हो गई। वहीँ नए घरों की संख्या 74 प्रतिशत बढ़कर 16,153 इकाई हो गई। दिल्ली-एनसीआर की बात करें तो यहाँ घरों की बिक्री 11 प्रतिशत बढ़कर 21,364 इकाई हो गई। इसके अलावा नए घरों की आपूर्ति 34 प्रतिशत बढ़कर 20,572 इकाई हो गई।