General Election 2024: इंडिया गठबंधन का दावा है कि दिसंबर में होने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहता है और उसे मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जबरदस्त सफलता मिलने के आसार हैं। इसका असर आने वाले 2024 के लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन पर सकारात्मक पड़ेगा। पीएम मोदी ने पहले लोकसभा उसके बाद स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में तीसरी बार सरकार बनाने का दावा करके संकेत दे दिया कि अपनी तीसरी जीत के लिए मोदी के नेतृत्व में भाजपा वो सारे राजनीतिक प्रयास जारी रखेगी जो कि चुनाव जीतने के लिए जरूरी होते हैं। दो बार भारतीय लोकतंत्र के दोनों सबसे बड़े मंचों से पीएम मोदी का ये दावा विपक्षी गठबंधन इंडिया के लिए चनौती है। इंडिया के लिए ये चेतावनी भी है। मोदी को हटाने के लिए एक साथ आए इंडिया गठबंधन और कांग्रेस सहित 26 दल और उनके नेता मोदी के अति विश्वास का मुकाबला क्या लोकसभा चुनावों में उसी हौसले से करेंगे। जैसे ये दल अपने राज्यों के विधानसभा चुनावों में करते हैं। कहा जाता है कि नरेंद्र मोदी का जादू कई बार राज्यों की विधानसभा चुनावों में भले नहीं चल पाता। जितना लोकसभा चुनावों में चलता रहा है।
लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी दल द्वारा लाए अविश्वास प्रस्ताव में संख्या बल के कारण सरकार भारी पड़ी। मतदान में अपनी तय हार देख कर पीएम नरेंद्र मोदी के भाषण के बीच में विपक्ष ने सदन से बहिर्गमन करके इज्जत और साख बचाने की कोशिश की। अविश्वास प्रस्ताव में बहस के दौरान जिस तरह सत्ता पक्ष व विपक्ष ने एक दूसरे पर हमले किए। उससे तय है कि 2024 के लोकसभा चुनावों में मुकाबला सत्ताधारी एनडीए के आत्मविश्वास और विपक्षी इंडिया गठबंधन के हौसलों के बीच ही होगा।
भाजपा बल्कि पूरे एनडीए को एक ताकत
सदन में बहस के बीच विपक्ष द्वारा उठाए मुद्दों और सवालों का जवाब देते समय पीएम नरेंद्र मोदी ने जब संबोधन में कहा कि 2024 में तीसरी बार लगातार सरकार बनाएंगे और विपक्ष अगली बार 2028 में अविश्वास प्रस्ताव लाए तो पूरी तैयारी से आए। यह उनका आत्मविश्वास है जो ना कि भाजपा बल्कि पूरे एनडीए को एक ताकत देता है। अपनी सदस्यता बहाल होने के बाद अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान राहुल गांधी ने मणिपुर की हिंसा को भारत माता पर हमला बताया तो यह उनका हौसला ही है कि वह राष्ट्रवाद की राजनीतिक पिच पर बैटिंग करने जा रहे हैं जिस पर भाजपा और पूरा संघ परिवार एकाधिकार समझता है।
राहुल गांधी का हौसला अकेले सिर्फ उनका नहीं, बल्कि इंडिया गठबंधन के कांग्रेस सहित सभी 26 दलों और उनके कर्णधार नेताओं का है, जिनमें एक पूरे देश में अकेले भाजपा से टक्कर लेने की स्थिति में नहीं। यहां तक कि 55 साल देश पर राज कर चुकी कांग्रेस अखिल भारतीय दल हो लेकिन अकेले वह भाजपा से अकेले नहीं भिड़ने की स्थिति में हैं इसलिए एक तरफ सत्ताधारी बीजेपी नेतृत्व वाला एनडीए गठबंधन है, जिसके पास पीएम नरेंद्र मोदी जैसा मजबूत और लोकप्रिय नेता, चौबीस घंटे राजनीति करने वाले अमित शाह जैसा कुशल रणनीतिकार, भाजपा जैसा संगठन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके अनुषांगिक संगठनों का पूरा तंत्र, कार्यकर्ताओं की फौज, नौ साल से अधिक केंद्रीय सत्ता का बल, संसाधन और सरकार की उपलब्धियां हैं। इससे भाजपा और एनडीए को वह आत्मविश्वास मिलता है जिससे फिर से तीसरी बार लगातार केंद्र में सरकार बनने का दावा कर सकते हैं।
भाजपा के राष्ट्रवाद के मुकाबले खुद की देशभक्ति साबित करने के लिए हौसला
दूसरी तरफ कांग्रेस के साथ आए 26 क्षेत्रीय दलों का नया गठबंधन है। जिसे इंडिया नाम देकर गठबंधन ने भाजपा के राष्ट्रवाद के मुकाबले खुद की देशभक्ति साबित करने के लिए हौसला दिखाया है। इस गठबंधन में ममता बनर्जी है। जिसने लगातार तीसरी बार पश्चिम बंगाल में जोरदार चुनाव जीता। दूसरी ओर अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी जिसने जिसने दिल्ली में तीसरी बार फतह का झंडा लहराया। उसके बाद पंजाब में तूफानी जीत दर्ज कर सरकार बनाई है। धुर दक्षिण में एमके स्टालिन की द्रमुक है जिसने न सिर्फ विस चुनावों में भाजपा की सहयोगी अन्ना द्रमुक को करारी हार दी। बल्कि उसके पहले 2019 के लोकसभा चुनावों में तमिलनाडु में एनडीए के विजय रथ को रोक दिया था। बिहार में मंडल राजनीति के गर्भ से निकले लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार राजद और जद (यू) हैं। जिन्होंने मिलकर 2015 में जब बीजेपी और नरेंद्र मोदी का विजय अभियान चरम पर था। तब एनडीए को करारी शिकस्त देने में सफलता पाई थी।
युवा कर्णधार जयंत चौधरी और अखिलेश यादव इंडिया गठबंधन की ताकत
महाराष्ट्र राजनीति के दोनों दिग्गज शरद पवार और उद्धव बाला साहेब ठाकरे हैं। जिन्हें राज्य और केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा गठबंधन के खिलाफ महाराष्ट्र विकास अघाड़ी धुरी माना जाता है। यूपी में किसान और पिछड़ा अल्पसंख्यक राजनीति के मसीहा चौधरी चरण सिंह के दोनों वारिस अजित सिंह के राष्ट्रीय लोकदल और मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी के युवा कर्णधार जयंत चौधरी और अखिलेश यादव इंडिया गठबंधन की ताकत हैं। इनके अलावा कई छोटे छोटे दल हैं। जिनका अपने राज्यों में प्रभाव है। अपने प्रभाव क्षेत्रों में तो दल भाजपा नीत एनडीए से लड़ते हैं लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर ये कांग्रेस के साथ मिलकर मुकाबले में उतरने को अब तैयार हैं। यही इरादा इनका हौसला है जो 2024 के चुनावी कुरक्षेत्र में ताकत बन सकता हैं अगर यह सब पूरी तरह एकजुट रहें और सीटों का बंटवारा और तालमेल सलीके व तरीके से कर सकें तो आने वाला 2024 भाजपा के लिए काफी भारी पड़ सकता है।