RBI repo rate: भारतीय रिज़र्व बैंक RBI द्वारा लगातार दूसरे महीने नीतिगत दरों में किसी प्रकार का बदलाव नहीं करेगा। ऐसा आरबीआई के विश्वस्त सूत्रों का मानना है।
ब्लूमबर्ग के सर्वे में अर्थशास्त्रियों ने अनुमान जताया था। जिसमें कहा गया था कि RBI रीपो रेट को 6.50 प्रतिशत पर अपरिवर्तित ही रखेगा। इससे संकेत मिलता है कि आने वाले महीनों में महंगाई अभी और भी कम होगी। उपभोक्ता मूल्य वृद्धि इस समय 18 महीने के सबसे निचले स्तर 4.7 प्रतिशत पर आई हैं। RBI ने महंगाई को 2 से 6 प्रतिशत के बीच करने का लक्ष्य रखा है।
सर्वे में शामिल अर्थशास्त्रियों को उम्मीद
सर्वे में शामिल 13 अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि इस बार भी मौद्रिक नीति समिति अपने बयान में ‘समायोजन की वापसी’ को पूर्व की भाति बरकरार रखेगी। जबकि कुछ अर्थशास्त्रियों ने इसके कमजोर पड़ने और शेष दो अर्थशास्त्रियों ने आरबीआई के तटस्थ रुख में बदलाव का अनुमान जताया है। बाकी अर्थशास्त्रियों ने अपने पूर्वानुमान साझा नहीं किए।
लेटेस्ट तिमाही वृद्धि के आंकड़े पिछले वित्त वर्ष 2022 के अनुमान से अधिक रहे हैं। यह बढ़कर 7.2 प्रतिशत पर पहुंच गया है। भारतीय अर्थव्यवस्था सबसे तेज आगे बढ़ी है।
बार्कलेज अर्थशास्त्री राहुल ने बताया कि स्थिर विकास और कम होती महंगाई के बीच, RBI वैश्विक घटनाओं को किनारे से देखने का विकल्प चुनेगा। केंद्रीय बैंक नीतिगत दरों में बढ़ोतरी पर रोक लगाएगें। पिछले कुछ समय में नीतिगत दरों में किए बढ़ोत्तरी के प्रभाव और वैश्विक वस्तुओं कीमतों में गिरावट का आकलन हो रहा है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व अगले हफ्ते बैठक में नीतिगत दरों में वृद्धि पर रोक लगाएगा। हालांकि ऑस्ट्रेलियाई रिजर्व बैंक ने अप्रत्याशित रूप से उच्च कीमत का हवाला देकर प्रमुख नीतिगत दरों में वृद्धि की थी।
महंगाई और विकास
RBI गवर्नर शशिकांत ने मई के महीने चेतावनी दी थी कि अगर महंगाई में कमी आई तो ‘आत्मसंतोष के लिए कोई जगह नहीं होगी। डॉयचे बैंक एजी अर्थशास्त्री दास ने कहा कि RBI चालू वित्त वर्ष 2023—24 में 6.5 प्रतिशत के विकास लक्ष्य को बरकरार रखते हुए अपनी पिछली समीक्षा में महंगाई के अनुमान को 5.2 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करेगा।
अर्थशास्त्री इस पर नज़र रख रहे हैं कि RBI इस साल किस तरह से अल नीनो की संभावित घटना के कारण महंगाई के जोखिमों का आकलन करेंगा। अल नीनो के कारण सूखा पड़ सकता है। जिससे खाद्य कीमतें बढ़ जाती है। IMD ने इस साल सामान्य मॉनसून के अपने पूर्वानुमान को बनाए रखा है, लेकिन भारत में बारिश के आगमन में कुछ दिनों की देरी हो सकती है।