नेताओं की बदज़ुबानी की अब कोई सीमा नहीं रह गयी है, भाषा की मर्यादा भारतीय राजनीति में रसातल पर पहुँच गयी है, कोई भी किसी पर जितना गिरे से गिरा बयान दे सकता है देता है, व्यक्तिगत आक्षेप लगा सकता है लगाता है. राजनीतिक आक्षेप लगाने में कई बार ऐसी बातें बोल दी जाती हैं जो सभ्य समाज का हिस्सा ही नहीं होती हैं, अफ़सोस तो तब होता है जब इस तरह की बातें उन लोगों के मुंह से निकलती हैं जो समाज के लिए मार्ग दर्शक की भूमिका में होते हैं. जनता उन्हें अपना कीमती वोट देकर उन्हें अपना नेता चुनती है और वो देश चलाने में भागीदार बनते हैं. जी हाँ केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री अश्विनी चौबे बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार को घेरने में भाषा की मर्यादा ही भूल गए और उन्हें नपुंसकता का शिकार बता दिया।
जंगलराज की वापसी का आरोप
केंद्रीय राज्य मंत्री ने कहा कि बिहार सरकार नपुंसक हो चुकी है और मुख्यमंत्री नितीश कुमार नपुंसकता का शिकार। उन्होंने नितीश सरकार पर हमला करते हुए कहा कि बिहार में जंगल राज की वापसी हो चुकी है, अपराध चरम पर है, आपराधिक घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं और बिहार के मुख्यमंत्री सुशासन बाबू अपनी पीठ थपथपा रहे हैं. अश्विनी चौबे ने नितीश कुमार ने बिहार में जंगलराज वापस लाने का काम किया है, उन्हें फ़ौरन मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे देना चाहिए।
विकास के रस्ते पर चल रहा था बिहार
उन्होंने कहा कि नितीश कुमार बिहार को जंगलराज से मुक्ति दिलाने का वादा करके सत्ता में आए थे। भाजपा के साथ सरकार बनाई और वो अपने काम में सफल हो रहे थे तभी प्रधानमंत्री बनने की उनकी दबी हुई महत्वाकांक्षा उभर आयी और उन्होंने जंगल राज वालों से गठजोड़ कर लिया और विकास के रास्ते पर चलने वाला बिहार जंगल राज की तरफ बढ़ने लगा. उन्होंने कहा कि नितीश कुमार संवेदन शून्य हो चुके हैं, उन्हें बिहार की तबाही नज़र नहीं आ रही है, इसलिए उन्हें फ़ौरन इस्तीफ़ा दे देना चाहिए.