केंद्र की मोदी सरकार ने अपना सबसे बड़ा चुनावी मास्टर स्ट्रोक खेलते हुए नागरिकता संशोधन कानून का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है, इसी के साथ देश भर में नागरिकता संशोधन कानून यानि CAA लागू हो गया है। इस बात की कई महीनों पहले से ही चर्चा थी कि मोदी सरकार लोकसभा चुनाव के समय CAA कानून को लागू करेगी। बता दें कि इस कानून को संसद में पास हुए पांच साल हो गए हैं लेकिन सरकार ने इसकी अधिसूचना जारी नहीं की थी, देश भर में CAA.NRC को लेकर ज़ोरदार विरोध प्रदर्शन हुए थे. तब सरकार ने इस कानून को ठन्डे बस्ते में डाल दिया था जिसे अब लोकसभा चुनाव से ठीक पहले निकाला गया है.
ये भी एक संयोग है कि इलेक्टोरल बॉन्ड पर आज ही सुप्रीम कोर्ट ने SBI को कोई राहत न देते हुए 24 घंटे में सारी जानकारी चुनाव आयोग के हवाले करने को कहा. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद पूरे देश में इसी को लेकर चर्चा चल रही थी कि अब SBI क्या करेगा और इस फैसले के तुरंत बाद केंद्र सरकार ने CAA का नोटिफिकेशन जारी कर बहस का मुद्दा ही बदल दिया।
सरकार का दावा है कि नागरिकता संशोधन कानून से किसी की भी नागरिकता नहीं जाएगी क्योंकि ये कानून नागरिकता देने के लिए है, लेने के लिए नहीं। इस कानून के मुताबिक देश से बाहर रहने वाले हिंदू धर्म के अलावा जैन, सिख, ईसाई, बौद्ध और पारसी समुदाय के लोग इसके पात्र होंगे। सरकार के मुताबिक पडोसी मुस्लिम देशों से 31 दिसंबर 2014 से पहले आए उन देशों के अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के लिए ये कानून बनाया गया है.
केंद्र सरकार ने नागरिकता कानून में 2019 में संशोधन किया था। ये कानून संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल चुकी है। लेकिन इसकी अधिसूचना नहीं जारी की गयी थी जिससे ये कानूनी स्वरुप नहीं ले पाया था. हालांकि अधिसूचना जारी न होने के बावजूद अब तक पड़ोसी देशों से आए अल्पसंख्यकों के साथ बहुसंख्यकों भी को भारतीय नागरिकता मिलती रही है, लेकिन CAA की अधिसूचना लागू होने से अल्पसंख्यकों के पास कानूनी रूप अधिकार होगा।