रमज़ान महीने के पहले दिन मोदी सरकार ने सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट (सीएए) को पूरे देश में लागू कर दिया है। सरकार की इस घोषणा पर विपक्षी दलों ने निशाना साधा है. कांग्रेस ने जहाँ अधिसूचना जारी करने की टाइमिंग पर सवाल उठाये हैं वहीँ असदुद्दीन ओवैसी ने इसे मुसलमानों पर लक्षित बताते हुए कहा कि विरोध के अलावा मुसलमानों के पास कोई चारा नहीं है, ममता बनर्जी ने जहाँ लोगों से शांति बनाये रखने की अपील की है वहीँ सपा मुखिया अखिलेश यादव ने इसे भाजपा की भटकावे की राजनीती बताया है.
कांग्रेस के संचार प्रमुख जयरम रमेश ने एक्स पर पोस्ट किया कि प्रधानमंत्री दावा करते हैं कि उनकी सरकार बिल्कुल प्रोफेशनल ढंग से और समयबद्ध तरीक़े से काम करती है लेकिन दिसंबर 2019 में संसद में पारित नागरिकता संशोधन अधिनियम के नियमों को नोटिफाई करने में मोदी सरकार को चार साल और तीन महीने लग गए। उन्होंने टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए कहा कि CAA नियमों की अधिसूचना के लिए नौ बार एक्सटेंशन मांगने के बाद घोषणा करने के लिए जानबूझकर आम चुनाव से ठीक पहले का समय चुना गया। जो साफ़ तौर पर बताता है कि सरकार की मंशा चुनाव को ध्रुवीकृत करने की है. जयराम ने आगे कहा कि यह इलेक्टोरल बांड घोटाले पर शीर्ष अदालत की कड़ी फटकार के बाद ये हेडलाइन मैनेजमेंट की कोशिश लगती है.
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने एक्स पर अपनी प्रतिक्रिया में लिखा है कि जब रोज़ी-रोटी के लिए देश के नागरिक बाहर जाने पर मजबूर हैं तो दूसरों के लिए ‘नागरिकता क़ानून’ लाने का क्या मतलब? ये भटकावे की राजनीति का भाजपाई खेल है। दुसरे देश के लोगों की चिंता करने के बजाये सरकार को ये बताना चाहिए कि पिछले 10 सालों के उनके राज में लाखों नागरिकों ने देश की नागरिकता क्यों छोड़ी। असदुद्दीन ओवैसी ने क्रोनोलॉजी समझाते हुए कहा कि पहले चुनाव का मौसम आएगा फिर CAA नियम विभाजनकारी और गोडसे के विचार पर आधारित हैं. ओवैसी ने कहा कि हर सताए हुए को नागरिकता देना चाहिए फिर वो चाहे किसी भी धर्म और जाति का हो. ओवैसी ने भी टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए पूछा कि इसके लिए सरकार ने पांच साल इंतज़ार क्यों किया.