अमित बिश्नोई
गलती मत कीजिये मोदी को समझने की, मोदी जिस दिन मुंह खोलेगा, तुम्हारी सात पीढ़ी के पाप निकाल कर रख देगा। प्रधानमंत्री मोदी कल पंजाब के होशियारपुर की चुनावी रैली में इंडिया गठबंधन के लोगों को सीधे सीधे धमकी देते हुए नज़र आये, इससे पहले उन्होंने बिहार में तेजस्वी यादव को गिरफ्तार करने की धमकी दी थी. चुनाव प्रचार के अंतिम दिनों में उनका ये नया रूप दिखा। सवाल ये है कि प्रधानमंत्री इतने विचलित क्यों दिखाई दिए कि उन्हें धमकी की भाषा का इस्तेमाल करना पड़ा, इतना गुस्सा क्यों? इतनी नाराज़गी क्यों? देश के चुनावी इतिहास में शायद इससे पहले कोई प्रधानमंत्री विपक्ष की सात पीढ़ियों तक नहीं गया।
आम तौर पर एक राजनेता गलत बात पर भी संयम दिखाता है, नाराज़गी का इज़हार भी करता है तो उसमें थोड़ी शालीनता होती है, भाषा की मर्यादा होती है. प्रधानमंत्री ने कल इस चुनाव की अंतिम रैली में जिस तरह धमकाने वाली भाषा का इस्तेमाल किया उससे तो साफ़ लग रहा था कि वो फ़्रस्ट्रेट दिख रहे हैं। एक नेता का फ्रस्ट्रेशन कब झलकता है, जब उसे कहीं न कहीं ये लगने लगता है कि उससे कुछ छिनने जा रहा है, उसकी कुर्सी को खतरा पैदा गया है, उसकी सत्ता डगमगाने लगी है. कल की उनकी चुनावी रैली में उनका अंदाज़ एंग्रीमैन वाला दिखा। ऐसा लगा कि पूरे चुनावी अभियान की वो भड़ास निकाल रहे हैं. दो दिन के ध्यान पर जाने से पहले वो 48 घंटे का अपने बोलने का कोटा पूरा करना चाहते हैं.
दरअसल प्रधानमंत्री के कल भाषण को अगर देखें तो पाएंगे कि इंडिया गठबंधन, विशेषकर कांग्रेस पार्टी और राहुल गाँधी ने जिस तरह मोदी जी की सबसे दुखती रग अग्निवीर योजना को एक चुनावी मुद्दा बनाया और उसे ज़मीनी स्तर तक लोगों को पहुँचाया उससे प्रधानमंत्री के अंदर गुस्सा बढ़ता चला गया लेकिन वो चाहकर भी अग्निवीर योजना पर कुछ बोल नहीं पा रहे थे. उधर कांग्रेस पार्टी और राहुल गाँधी जहाँ पूरे देश में अग्निवीर योजना को लेकर युवाओं में एक सन्देश पहुंचा रहे थे वहीँ यूपी में भी अखिलेश ने अपने हर भाषण में अग्निवीर योजना को एक मुद्दे की तरह पेश किया। राहुल गाँधी लगातार ये कहते रहे कि इंडिया गठबंधन की सरकार बनते ही अग्निवीर योजना को फाड़कर कूड़ेदान में फेंक दिया जायेगा।
लोगों का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी जब इस मुद्दे पर खुद कुछ बोलने की स्थिति नहीं पा रहे थे और ये देख रहे थे कि ग्राउंड पर अग्निवीर योजना उनके लिए गले की फांस बन रही है, युवाओं में इस योजना के लिए नाराज़गी बढ़ती जा रही है, देश का युवा कांग्रेस पार्टी पर इस बात के लिए भरोसा करने लगा है कि अग्निवीर योजना रद्द कर दी जाएगी और पुराने तरीके से भर्ती की बहाली होगी जिसमें पहले की तरह ही सबकुछ होगा, यानि एक तरह की नौकरी, शहीद का दर्जा, पेंशन, कैंटीन की सुविधा आदि, उन्होंने चुनाव आयोग की मदद ली और चुनाव आयोग की तरफ से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को निर्देश जारी कराया कि उसके नेता अग्निवीर योजना को लेकर बयानबाज़ी न करें। नतीजा ये हुआ कि कांग्रेस पार्टी को कन्फर्म हो गया कि अग्निवीर वाला हथियार काम कर गया है।
चुनाव आयोग के निर्देश को मानना तो दूर कांग्रेस पार्टी, राहुल गाँधी और इंडिया अलायन्स के लोगों ने अग्निवीर योजना पर और आक्रामक रुख अपना लिया। राहुल गाँधी के मंच पर एक अग्निवीर पहुँच गया जिसने सार्वजानिक तौर पर कहा कि उसे ये योजना बिलकुल नहीं पसंद। इधर कांग्रेस पार्टी और इंडिया अलायन्स अग्निवीर को लेकर और आक्रामक हो रहा था उधर प्रधानमंत्री जी के अंदर गुस्सा और बढ़ता जा रहा था. अग्निवीर योजना का सबसे ज़्यादा असर हरियाणा, पंजाब और हिमाचल पर पड़ने वाला था क्योंकि इन तीन प्रदेश से सबसे ज़्यादा लोग सेना में जाते हैं, कांग्रेस पार्टी ने तीनों ही प्रदेशों में अग्निवीर योजना को एक बहुत बड़ा मुद्दा बना दिया, हिमाचल में तो प्रियंका गाँधी ने अंतिम दिनों में वहीँ पर डेरा जमा लिया। यही वजह रही कि जब प्रधानमंत्री पंजाब के होशियारपुर पहुंचे तो अग्निवीर योजना का नाम लिए बिना विपक्ष पर फट पड़े और सात पीढ़ियों के पाप निकालने की बात करने लगे. लेकिन अग्निवीर योजना का मोदी जी को जितना नुक्सान होना था, हो गया. अब किसी को धमकाने और देख लेने की बातों से कुछ नहीं होने वाला, कितना नुक्सान हुआ है इसका अंदाज़ा 1 जून को एग्जिट पोल में हो जायेगा, फिलहाल अग्निवीर के खिलाफ वोट देने का जिसने मन बना लिया है वो एक जून को उसके खिलाफ ही वोट करेगा, मोदी जी की धमकी भरे भाषण के बाद हो सकता है कि उसके इरादे और पक्के हो जांय।