depo 25 bonus 25 to 5x Daftar SBOBET

माया की मंशा?

आर्टिकल/इंटरव्यूमाया की मंशा?

Date:

अमित बिश्नोई
पिछले कई लोकसभा चुनाव में किसी न किसी दल से गठबंधन करके चुनाव लड़कर फायदा कमाने वाली बहुजन समाज पार्टी इस बार यूपी में अकेले मैदान में है। इसके पीछे इस बात को छोड़कर कि बसपा खुद को इतना मज़बूत समझ रही है कि वो अपना पिछ्ला प्रदर्शन भी दोहरा पायेगी और कोई भी कारण आप मान सकते हैं. इसपर आगे बात करेंगे। अभी बात करते हैं बसपा की लोकसभा चुनाव के लिए शुरू की गयी मुहीम से. तो अपने चुनावी अभियान की शुरुआत मायावती ने प्रदेश की चार लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों के नामों की घोषणा से कर दी है और ये सारे चेहरे अल्पसंख्यक समुदाय से हैं यानि कि मुस्लिम चेहरे हैं। पहला सवाल लोगों के ज़हन में आता है कि मायावती के इस निर्णय के पीछे उनकी क्या रणनीति और मंशा है. रणनीति और मंशा में थोड़ा फर्क होता है, सियासत में दिलचस्पी रखने वाले इसे अच्छी तरह समझते है. क्योंकि कुछ एलान पार्टी की रणनीति दर्शाते हैं और कुछ मंशा और कुछ एलान ऐसे होते हैं जिनमें रणनीति के साथ मंशा भी छुपी होती है, छुपने की बात इसलिए कि सवाल आने पर मंशा पर रणनीति का लेबल लगा दिया जाय. सिर्फ चार सीटों का एलान और उन सभी पर मुस्लिम उम्मीदवार, इसी रणनीति और मंशा के खेल का हिस्सा हैं.

देश में लोकतंत्र है, कोई भी पार्टी कितनी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारती है, कितने जाति, धर्म, सम्प्रदाय के प्रत्याशी उतारती है, किसी एक समुदाय के प्रत्याशी उतारती है, ये उसका अधिकार है लेकिन इस लोकतान्त्रिक अधिकार के बावजूद राजनीतिक पार्टियां इस बात का ध्यान रखती हैं कि कुछ ऐसा सन्देश न जाए कि तुष्टिकरण का आरोप लगे, यहाँ पर भाजपा एक अपवाद है. यकीनन मायावती जब अकेले चुनाव लड़ रही हैं तो आगे अभी बहुत सी सीटों पर या सभी 80 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा करेंगी और ये सभी मुस्लिम चेहरे नहीं होंगे लेकिन शुरुआत मुस्लिम चेहरों से ही क्यों? मायावती का सन्देश क्या है? मंशा क्या है, रणनीति क्या है इसके पीछे। खासकर तब जब प्रदेश में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा से बदला हुआ माहौल है. ऐसे में क्या मायावती ये सन्देश देना चाहती हैं कि मुसलमानों की सबसे बड़ी हितैषी बसपा है? या फिर ये सपा और कांग्रेस में हुए गठबंधन से बदले हुए राजनीतिक हालात हैं जो बता रहे हैं कि भाजपा से मुकाबले के लिए ये गठबंधन ही सक्षम है और मुस्लिम वोट एकमुश्त इंडिया गठबंधन को जाने वाला है.

या फिर बहन जी अपनी पार्टी का वजूद बचाने के लिए मुस्लिम वोट बैंक की मदद चाहती हैं और इसी वजह से पहली चार सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार घोषित कर उन्होंने मुसलमानों को सन्देश दिया कि बसपा ही मुसलमानों को राजनीतिक प्रतिनिधित्व देने में सबसे आगे रहती है. हालाँकि घोषित सभी चारों सीटों पर भाजपा को छोड़ सपा या कांग्रेस मुस्लिम उम्मीदवार उतार सकती है लेकिन ये कोई ज़रूरी नहीं, हालाँकि इन चार सीटों (पीलीभीत, मुरादाबाद, कन्नौज और अमरोहा) में तीन सीटों पर मुस्लिम वोट जिताऊ पोजीशन में है. तो रणनीति के तहत तो ये किसी भी पार्टी के लिए सही फैसला हो सकता है लेकिन यहाँ पर मंशा का भी दखल है. क्या पहले चार सीटो पर मुस्लिम चेहरों की घोषणा कर वो सपा और कांग्रेस का खेल बिगाड़ना चाहती हैं. आपको याद होगा कि विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को मुस्लिम समुदाय ने जितना एकतरफा समर्थन दिया था, शायद उससे पहले कभी नहीं दिया होगा, हालाँकि बाद में मुस्लिम नेतृत्व द्वारा सपा मुखिया के खिलाफ नाराज़गी भी उभरी और कहा गया कि अखिलेश यादव मुस्लिम वोट तो चाहते हैं लेकिन भागीदारी नहीं देना चाहते। इसके बाद कहा जाने लगा कि मुस्लिम वोट एकबार फिर कांग्रेस की तरफ देखने लगा है. निकाय चुनावों में उसकी झलक भी नज़र आयी. ऐसे में सपा और कांग्रेस के साथ आने से ये तय माना जाने लगा कि इंडिया गठबंधन को मुस्लिम वोट जाने वाला है और इसका बड़ा नुक्सान बसपा को होने वाला है क्योंकि भाजपा को तो वैसे भी मुस्लिम वोट की ज़रुरत नहीं होती.

ऐसे में मायावती के पास अपना मुस्लिम वोट बरकरार रखने के लिए इस तरह की घोषणा करके सन्देश देने के अलावा कोई चारा भी नहीं है. वहीँ एक वर्ग जो हमेशा से मानता आ रहा है कि बसपा ने हमेशा परदे के पीछे रहकर भाजपा की मदद की है और उससे मदद ली है. ऐसे में मायावती मुस्लिम वोट का जितना भी बिखराव कर पाएंगी वो उनकी पार्टी के लिए भले ही फायदेमंद हो या न हो लेकिन भाजपा को फायदा मिलेगा, इसमें कोई दो राय नहीं है। तो सवाल फिर वही आ जाता है मायावती द्वारा लोकसभा चुनावी अभियान इस ढंग से शुरू करने के पीछे उनकी मंशा और मकसद क्या है?

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

दिल्ली की चुनावी राजनीति में राम और रावण की इंट्री

दिल्ली विधानसभा के चुनाव में अब राम और रावण...

पूर्व बॉलीवुड एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी बनीं महामंडलेश्वर

पूर्व बॉलीवुड अभिनेत्री ममता कुलकर्णी महामंडलेश्वर बन गई हैं।...

100% की टैरिफ धमकी के बावजूद इंडिया इंक को ट्रम्प से उम्मीदें

ट्रंप द्वारा भारत सहित ब्रिक्स देशों पर 100% टैरिफ...

454 अंकों की मज़बूती के साथ बंद हुआ सेंसेक्स

20 जनवरी को सेंसेक्स और निफ्टी मजबूती के साथ...