देश में कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन जेएन.1 जंगल की आग की तरह फैल रहा है। शनिवार को बीते सात महीने के सर्वाधिक 752 केस दर्ज किए गए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि नए स्ट्रेन के लक्षणों को लेकर कुछ भी निश्चित नहीं है। यह चिंता का विषय बना हुआ है। हालांकि देशभर में कोरोनागाइडलाइंस जारी कर दी गई है। जिसके तहत सभी जगह मास्क जरूरी किया गया है वहीं लोगों से कोरोना से बचाव के सभी नियमों का पालन करने की अपील लगातार की जा रही है।
इन्फ्लूएंजा से अधिक ख़तरनाक
केरल समेत अन्य राज्यों में हो रही सैंपल टेस्टिंग में तकरीबन 50 फ़ीसदी सैंपल में जेएन.1 के लक्षण मिल रहे हैं। चिकित्सकों का कहना है कि इस स्ट्रेन को हल्के में नहीं लिया जा सकता है यह इन्फ्लूएंजा से अधिक खतरनाक हो सकता है। ऐसे में सांस की बीमारियों या संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील, जिन मरीजों को दूसरी बीमारियां हैं, बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं को इससे बचने की काफी जरूरत होगी। ऐसे लोगों से सावधानी बरतने की भी अपील भी की गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि नया स्ट्रेन बहुत संक्रामक है। हालांकि इसे बहुत घातक नहीं बताया जा रहा है। चिकित्सकों का यह भी कहना है कि यह ओमिक्रॉन का सब वेरिएंट है। इसे लेकर पहले काफी रिसर्च हो चुके हैं।ऐसे में नए वेरिएंट को समझने में काफी मुश्किल नहीं होगी। यह भी कहा जा रहा है कि नया स्ट्रेन छींक के जरिए हवा में तेजी से फैलता है और अन्य लोगों को संक्रमित करता है।
टीका न लगवाने वाले अधिक शिकार
केरल में संक्रमित मिले मरीजों के आंकड़ों और उनकी हिस्ट्री के अनुसार जिन लोगों ने कॉविड वैक्सीन का कोर्स पूरा नहीं किया है उनमें अधिक खतरा मिला है। चिकित्सकों का कहना है बीमारी से बचाव के लिए लगाया गया टीका अभी भी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए हुए है। ऐसे में काफी संभावना है कि जिन लोगों को पहले टीका लग चुका है उनमें संक्रमण की प्रसार दर कम हो।
केरल से क्यों सीखे दूसरे राज्य
देश में केरल कोरोना का हॉटस्पॉट बना हुआ है। अच्छी बात यह है कि इस बीमारी को लेकर यहां के लोग पूर्ण रूप से जागरूक है। रिपोर्ट्स के मुताबिक अभी तक केरल में सबसे अधिक कोरोना के मामले दर्ज किए गए हैं। ऐसे में लोगों ने भी पूर्ण जागरूकता दिखाते हुए अपनी जांच करवानी शुरू कर दी है। ऐसे लोग जो किसी भी तरह से संक्रमित मरीज के संपर्क में आए हैं वह खुद जाकर अपनी जांच करवा रहे हैं। साथ ही निजी क्षेत्र लोग भी खुद आगे आकर अपनी कोरोना जांच करवा रहे हैं। लोगों का मानना है कि यदि समय रहते बीमारी का पता चल जाएगा तो सही इलाज लिया जा सकेगा। जिससे बीमारी की गंभीरता को रोका जा सकता है।