देश में कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं, विशेषकर दक्षिण के कुछ राज्यों में ज़्यादा असर दिख रहा है, केरल में तो कई मौतें भी हो चुकी हैं, ऐसे में लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि क्या कोरोना के नए वैरिएंट से मुकाबला करने के लिए वैक्सीन की एक डोज़ की और ज़रुरत है तो SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम के प्रमुख डॉक्टर एनके अरोड़ा के मुताबिक, इसकी कोई ज़रुरत नहीं है बल्कि सिर्फ सावधानी की ज़रुरत है, अगर आप स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी दिशा निर्देशों का पालन करते हैं तो घबराने की कोई ज़रुरत नहीं है.
बुर्जुगों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की ज़रुरत
डॉ अरोड़ा ने कहा कि बुज़ुर्ग लोग जिन्हें सह-रुग्णताएं होने की संभावना है और जो ऐसी प्रतिरक्षा को दबाने वाली दवाएं ले रहे हैं, उन्हें विशेष सावधानी की ज़रुरत है, अगर उन्होंने अब तक सावधानी नहीं बरती है तो उन्हें सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। डॉक्टर एनके अरोड़ा ने जोर देकर कहा कि ओमीक्रॉन के विभिन्न सब वैरिएंट्स की सूचना मिली है लेकिन उनमें से किसी ने भी गंभीरता नहीं बढ़ाई है। उन्होंने कहा कि 400 से अधिक सबवेरिएंट या इस वायरस के उत्परिवर्तन की पहचान की है लेकिन अच्छी बात ये है कि ये अस्पताल में भर्ती वाले नहीं है.
पांच दिनों में ठीक हो जाते हैं मरीज़
जेएन.1 के प्रमुख लक्षणों के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा ये भी अन्य सबवेरिएंट के समान हैं। लक्षण इस आधार पर जेएन.1 भी अन्य वैरिएंट्स जैसा ही है मतलब बुखार, नाक से स्राव और खांसी, कभी-कभी दस्त और गंभीर शरीर दर्द हो सकता है, आमतौर पर वे दो से पांच दिनों में ठीक हो जाते हैं।बता दें कि भारत में अक्टूबर से अब तक 22 मामले मिले हैं। मामलों की संख्या पिछले कुछ दिनों में निश्चित रूप से बढ़ी है इसीलिए परीक्षण में भी तेजी आई है। उन्होंने अपनी बात को दोहराते हुआ कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है बल्कि सतर्कता की जरूरत है।