बाजार के जानकारों का कहना है कि लोकसभा चुनाव में कम जनादेश के कारण भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के लिए जीएसटी दरों में कटौती लागू करना मुश्किल हो सकता है। उनके अनुसार इसका गरीब तबके पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, जिसे सरकार इस समय बर्दाश्त नहीं कर सकती। मंत्रियों के एक समूह द्वारा जीएसटी को मौजूदा चार स्लैब से तीन स्लैब में तर्कसंगत बनाने की संभावना पर विचार किए जाने की उम्मीद है, लेकिन जानकारों का मानना है कि 12 प्रतिशत या 18 प्रतिशत कर वाली अर्ध-आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी दरों में कोई भी कमी या फेरबदल आवश्यक वस्तुओं पर अतिरिक्त कर बोझ डाल सकता है, जिन पर पांच प्रतिशत की कम दर से कर लगता है।
जानकारों का मानना है कि दरों में कटौती निकट भविष्य में नहीं होगी, क्योंकि इससे निम्न आय वर्ग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। चुनाव परिणामों के बाद सरकार के लिए सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इससे ग्रामीण या अर्थव्यवस्था के निचले तबके में असंतोष पैदा होगा। 53वीं जीएसटी परिषद की बैठक में इस पर स्पष्टीकरण दिया जाना बाकी है।
वर्तमान में, आवश्यक और अर्ध-आवश्यक सामान, जो भारत की खपत का 70-80 प्रतिशत हिस्सा हैं, जिन पर पांच प्रतिशत या 12 प्रतिशत की जीएसटी दर लागू है। हालांकि, विलासिता वाली वस्तुओं पर 28 प्रतिशत कर लगाया जाता है, जो सरकारी राजस्व में महत्वपूर्ण योगदान देता है। जानकारों के मुताबिक यह एक क्रॉस सब्सिडी की तरह है, अगर दरों को युक्तिसंगत बनाया जाता है, तो सरकार के राजस्व पर असर पड़ सकता है, लेकिन इससे भी अधिक, निम्न आय वर्ग प्रभावित होंगे।