Israel-Hamas Conflict: भारत की ईसीजीसी इस्राइल को निर्यात करने वाली भारतीय कंपनियों से उच्च जोखिम प्रीमियम वसूल सकती है। इसीजीसी लि. (पूर्व में एक्सपोर्ट क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लि.)पूरी तरह से भारत सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी है।
इस्राइल और हमास के बीच छिड़े युद्ध का खामियाजा भारतीय निर्यातकों को उठाना पड़ेगा। ऐसा विदेश नीति के जानकारों का मानना है। भारत से इस्राइल को भारी मात्रा में सामान का निर्यात होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि युद्ध के कारण निर्यातकों को अधिक बीमा प्रीमियम और शिपिंग लागत का सामना करना पड़ सकता है।
अंतरराष्ट्रीय व्यापार के जानकारों ने बताया कि अगर आगे युद्ध नहीं बढ़ता तो भारतीय निर्यातकों का मुनाफा भले कम हो जाए, निर्यात की मात्रा पर कोई असर नहीं पड़ेगा। थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा कि भारत के वाणिज्यिक निर्यात के लिए युद्ध के कारण बीमा प्रीमियम और शिपिंग लागत में तेजी आने की संभावना है।
संघर्ष तेज हुआ तो निर्यातकों के लिए हालात कठिन
भारत की ईसीजीसी इस्राइल को निर्यात करने वाली भारतीय कंपनियों से ऊंचे जोखिम प्रीमियम वसूल सकती है। ईसीजीसी लि.(पूर्व में एक्सपोर्ट क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लि.) पूरी तरह से भारत सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी है। टेक्नोक्रॉफ्ट इंडस्ट्रीज इंडिया संस्थापक चेयरमैन व मुंबई स्थित निर्यातक शरद कुमार सराफ ने कहा कि अगर संघर्ष तेज हुआ तो निर्यातकों के लिए हालात कठिन होगे। जीटीआरआई के सह-संस्थापक अजय श्रीवास्तव का कहना है कि इस्राइल के तीन बड़े बंदरगाहों-हाइफा, अशदोद और इलियत पर कामकाज प्रभावित होगा तो इसका व्यापार पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।
अभी कामकाज प्रभावित नहीं
जीटीआरआई के सह-संस्थापक श्रीवास्तव ने कहा कि अभी युद्ध से बंदरगाह के कामकाज प्रभावित होने की जानकारी नहीं है। भारत-इस्राइल द्विपक्षीय सेवा व्यापार 1.3 अरब डॉलर होने का अनुमान है। यदि इस्राइल में बड़े क्षेत्रों तक युद्ध नहीं फैलता तो इस पर प्रभाव नहीं पड़ेगा। दरअसल युद्ध की अवधि और तीव्रता पर इसका असली प्रभाव निर्भर है। वित्तीय वर्ष 2022-2023 में माल व सेवा क्षेत्रों में व्यापार 12 अरब डॉलर होने का अनुमान है।