देश की 13 करोड़ आबादी रोजाना करती है तंबाकू उत्पादों का सेवन
पारुल सिंघल
वर्ल्ड लंग फाउंडेशन द्वारा हाल ही में जारी किए गए ताजा आंकड़े काफी चौंकाने वाले हैं। इसके मद्देनजर भारत में हर दिन 13 करोड़ से अधिक आबादी तंबाकू उत्पादों का सेवन करती है। यानी देश में हर दिन औसतन दो सौ साठ करोड़ रुपए तंबाकू पीने पर खर्च किए जाते हैं। इसमें लोग सर्वाधिक धूम्रपान पर खर्च करते हैं। स्थिति काफी चौंकाने वाली है। धूम्रपान से होने वाले जानलेवा नुकसान के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से ही हर साल नो स्मोकिंग डे का आयोजन किया जाता है। मार्च के दूसरे बुधवार को आयोजित होने वाले इस दिवस का उद्देश्य लोगों को यह बताना है कि हर दिन वह अपने शरीर को किस तरह से नुकसान पहुंचा रहे हैं।
बच्चे भी कर रहे अपनी जान से खिलवाड़
चिकित्सक बताते हैं कि देश में बच्चों द्वारा तंबाकू उत्पादों के सेवन करने की संख्या भी काम नहीं है। आंकड़ों के मुताबिक हर दिन 25 लाख बच्चे तंबाकू का सेवन करते हैं। जिसमें 18 लाख 51 हजार 800 लड़के शामिल है जबकि6 लाख 90000900 लड़कियां हैं।
हर दिन 9 लाख से अधिक मौत
तंबाकू उत्पादन के सेवन करने से हर साल देश में तकरीबन 9 लाख, 81 हजार 100 लोग मौत के मुंह में समां रहे हैं। तंबाकू हर हफ्ते तकरीबन 15,441 पुरुष और 3,375 महिलाओं की जान ले रहा है। ये आंकड़े डराते हैं।
सिगरेट नहीं, जानिए क्या पी रहे हैं आप
सिगरेट या तंबाकू उत्पादों का सेवन करने वाले लोग हर दिन खतरनाक रसायनों का सेवन करते हैं। इसमें कई खतरनाक रासायनिक तत्व शामिल हैं। सिगरेट में कैडमियम होता है। जिसका प्रयोग बैटरी बनाने में किया जाता है। इसके साथ स्टीयरिक एसिड, जिससे कैंडल वैक्स बनाई जाती है, इंडस्ट्रियल सॉल्वेंट बनाने में प्रयोग होने वाला टाल्यूईन सिगरेट में प्रयोग किया जाता है। इसके साथ ही निकोटीन जिसका प्रयोग कीट नाशक बनाने में होता है। अमोनिया, जिसका प्रयोग टॉयलेट क्लीनर के रूप में किया जाता है। रॉकेट फ्यूल के रूप में प्रयोग होने वाले मेथेनॉल, कार्बन मोनोऑक्साइड, आर्सेनिक यानी जहर, मिथेन यानी सीवर गैस, एसिटिक एसिड यानी विनेगर ब्यूटेन यानी लाइटर फ्लूड में प्रयोग होने वाले रासायनिक तत्व सिगरेट में शामिल होते हैं। इन्हीं से अंदाजा लगाया जा सकता है कि सिगरेट पीने वाले व्यक्ति हर दिन कितने जहरीले तत्वों का सेवन करते हैं।
ये होता है निकोटिन का शरीर पर प्रभाव
निकोटीन के प्रयोग से गले, मुंह का कैंसर होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। इससे लंग कैंसर, क्रॉनिक रेस्पिरेट्री डिजीज होने की संभावनाएं कई गुना बढ़ जाती हैं। डायबिटीज पेनक्रिएटाइटिस कैंसर, नपुंसकता, इनफर्टिलिटी, यौन रोग, गर्भधारण करने में समस्या, स्ट्रोक का खतरा, हाई ब्लड प्रेशर के साथ ही हृदय, किडनी के कई गंभीर रोग शरीर में उत्पन्न हो जाते हैं।