गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले चरण में कम वोट पड़ने से निर्वाचन आयोग निराश है. 5 दिसंबर को दूसरे चरण में मत प्रतिशत बढ़ाने के लिए उसने गुजरात के वोटरों से अपील की है. निर्वाचन आयोग ने आंकड़े जारी करते हुए कहा कि वोट डालने के मामले में शहरी क्षेत्रों में उदासीनता रही है. हाल ही में हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान भी शिमला के शहरी विधानसभा क्षेत्र में सबसे कम 62.53 प्रतिशत दर्ज किया गया जबकि राज्य का औसत 75.6 प्रतिशत था। बता दें कि दूसरे चरण के लिए आज चुनाव प्रचार समाप्त हो गया है.
CEC ने जताई चिंता
चुनाव आयोग ने बताया कि हिमाचल के शिमला की तरह गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले चरण में सूरत, राजकोट और जामनगर में औसत से कम मतदान हुआ है। मतदान प्रतिशत के आंकड़ों पर चिंता जताते हुए सीईसी राजीव कुमार ने गुजरात के मतदाताओं से दूसरे चरण में घरों से बाहर निकलने की अपील की ताकि मतदान का प्रतिशत बढ़ सके. चुनाव आयोग के अनुसार, कच्छ जिले में गांधीधाम एसी में सबसे कम मतदान प्रतिशत 47.86 प्रतिशत दर्ज किया, जो कमी में नया रिकॉर्ड है। दूसरा सबसे कम मतदान सूरत के करंज निर्वाचन क्षेत्र में हुआ जहाँ पिछले चुनाव की तुलना में 5.37 प्रतिशत कम मत पड़ा है।
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में भारी अंतर
गुजरात के प्रमुख शहरों में राज्य के औसत 63.3 प्रतिशत से बहुत कम मतदान हुआ है। 2017 में पहले चरण में 66.79 प्रतिशत वोट पड़ा था। ग्रामीण क्षेत्रो की बात की जाय तो नर्मदा जिले के देदियापाड़ा के ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र में 82.71 प्रतिशत दर्ज किया गया है जबकि कच्छ जिले के गांधीधाम के शहरी विधानसभा क्षेत्र में सिर्फ 47.86 प्रतिशत मतदान हुआ , इस तरह मतदान प्रतिशत का अंतर 34.85 प्रतिशत है। राजकोट में सभी शहरी क्षेत्रों में गिरावट दर्ज हुई है।