हर तरह की किताबों से सजी किताब गली में रोज हजारों पुस्तक प्रेमी आ रहे हैं और अपनी पसंद की किताबों को खरीद रहे हैं। प्रकाशकों के अनुसार आखिरी दिन यहाँ पहले तीन गुना पाठकों के आने का अनुमान है और पुस्तकों पर 50 प्रतिशत तक की छूट दी जा रही है। कोविड के बाद लोग किताबों की तरफ दोबारा बढ़ रहे हैं। वे हर तरह की किताबें पसंद कर रहे हैं। छोटे बच्चे ड्राइंग, आर्ट एंड क्राफ्ट की किताबें खरीद रहे हैं, स्कूली बच्चे देश—विदेश के लेखकों की पुस्तकें, चित्रकथाएँ और क्रिएटिव राइटिंग की किट को चुन रहे हैं, युवा अपनी पसंद के लेखकों के उपन्यास ले रहे हैं, शिक्षक अपनी उपयोगी किताबों का चयन कर रहे हैं, अभिभावक अपने लिए तो पुस्तकें खरीद रहे हैं, साथ में अपने बचपन के उन लेखकों की किताबों को भी ढूॅंढ़ते मिल रहे हैं जिनसे प्रेरित होकर वे बड़े हुए, ताकि उनके बच्चे भी उन कथा—कहानियों को पढ़कर सीख ले सकें। प्रकाशकों के अनुसार हर तरह की किताबों के स्टॉल पर भीड़ है।
बच्चों की दिलचस्पी इंटेरेक्टिव गतिविधियों में बढ़ी है, वे मांगा सीरीज जैसे एनिमेटेड करेक्टर की किताबें भी खरीद रहे हैं और अपनी इच्छा से रामायण, महाभारत, श्रीकृष्ण, विष्णुपुराण से जुड़ी चित्रात्मक और कम शब्दों वाली किताबें भी खरीद रहे हैं। एनईपी को भी बच्चों ने समझा है और पाठ्यक्रम से हटकर पढ़ने में भी उनकी रुचि बढ़ी है। वे भाषाओं—बोलियों के महत्व को समझ रहे हैं। अंग्रेजी के उपन्यासों के साथ—साथ विदेशी लेखकों की हिंदी में प्रकाशित किताबों का भी क्रेज बढ़ा है। एक तरफ जहॉं अमेरिकी लेखक केरन एम. मेकमेनस की किताबें युवाओं को भा रही हैं, वहीं स्वयं में सुधार लाने के लिए दीप त्रिवेदी की ‘आई एम गीता’ को भी खूब पसंद किया जा रहा है।
आवाज की दुनिया का जादू छाया लेखकगंज में शनिवार को लेखकगंज में रेडियो की दुनिया के तीन लोकप्रिय कलाकार आरजे शशांक, तृप्ति और प्रतीक ने माइक के पीछे की दुनिया से परदा हटाते हुए कई दिलचस्प अनुभव साझा किए। शशांक ने बताया कि कैसे आधुनिक सामाजिक परिवेश में लोगों को एक ऐसी आवाज की जरूरत महसूस होती है जिससे वह अपने सुख—दुख साझा कर सकें। ऐसे में आरजे से लोगों का रिश्ता, रिश्तों से परे का रिश्ता बन जाता है। रेडियो पर श्रोताओं से बात करते हुए बहुत से ऐसे पल आते हैं जो आपके जीवन को बदल देते हैं। आरजे तृप्ति ने बताया कि हम कई भूमिकाओं में होते हैं, कभी डॉक्टर, तो कभी पुलिसवाला, तो कभी अभिभावक की भूमिका निभाते हैं। आरजे प्रतीक ने कोरोना काल के अनुभव को साझा करते हुए बताया कि किस प्रकार आरजे को उसके परिवेश को समझना भी आवश्यक है ताकि वह अपने श्रोताओं से अच्छे से जुड सके।
पूर्वांचल भविष्य का सबसे बड़ा बाजार
लेखक गंज में प्रसिद्ध उद्यमी एवं डेयरी उद्योग के अग्रणी जय अग्रवाल ने कायमगंज (फर्रुखाबाद) जैसी छोटी—सी जगह से निकलकर प्रदेश के सबसे लोकप्रिय ब्रांड के रूप में ज्ञान डेयरी को स्थापित करने के अपने सफर पर चर्चा की। युवाओं से चर्चा करते हुए विगत दस वर्षों में उत्तर प्रदेश के बदलते हुए व्यावसायिक माहौल, इंफ्रास्ट्रक्चर और उद्यमियों के लिए उत्तर प्रदेश में उभरते नए अवसरों के बारे में बताते हुए कहा कि केवल स्थानीय उत्पादों के स्टैंडर्डाइजेशन से भी हजारों करोड़ के उद्यम प्रदेश विशेषत: पूर्वांचल में स्थापित किए जा सकते हैं।
संजीव पालीवाल ने शेयर किए युवाओं के लिए टिप्स
लेखक गंज के एक सत्र में प्रसिद्ध हिंदी पत्रकार और लेखक संजीव पालीवाल ने अपनी नई पुस्तक “ये इश्क़ नहीं आसां” पर विचार साझा करते हुए बताया कि लेखक के लिए अनुशासन आवश्यक है। किसी भी पुस्तक को पूरा करने के लिए हमें उस पुस्तक को नियमित तौर पर कुछ निश्चित समय देना होगा। उन्होंने अपनी पुस्तक के बारे में बताते हुए युवाओं को बताया कि जब उन्हें किसी भी कार्य को करने में आनंद आए तो उन्हें थकान नहीं होती है। पत्रकारिता भी ऐसा ही पेशा है जो हमें एक बेहतर इंसान बनाता है। लेखकगंज से ही
प्रसिद्ध इतिहासकार और लेखक चंद्रचूड़ घोष ने ‘1947—1957 इंडिया द बर्थ आॅफ ए रिपब्लिक’ किताब के बारे में बताते हुए श्रोताओं को भारत की आजादी से पहले और तुरंत बाद के कई अनजाने पहलुओं से रूबरू करवाया। उन्होंने नेहरू, पटेल और बोस द्वारा लिए गए उन नीतिगत निर्णयों के बारे में बताया, जिनका असर हमारी आज की राजनीति पर भी दिखता है। चर्चा में भारत की शुरुआती राजनीतिक पार्टियों के गठन और उनके सैद्धांतिक मतभेदों के बारे में चर्चा की।
अंडमान—निकोबार में भी लखनऊ
लेखकगंज में ‘1857, सेल्युलर जेल और लखनऊ’ सत्र में पार्थसारथी सेन शर्मा ने अपनी यात्रा वृत्तांत ‘अंडमानुष निकोबारीज’ पर चर्चा करते हुए अंडमान—निकोबार के नामकरण और इतिहास सहित अनेक विषयों पर प्रकाश डाला है। उन्होंने बताया कि सेल्युलर जेल से पहले ब्रिटिश वहां भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को रखते थे। वहां लखनऊ नाम का एक गांव भी था।
उन्होंने इस पुस्तक में दूधनाथ तिवारी की कहानी का भी जिक्र किया है जिनका संबंध उत्तर प्रदेश से था। उन्होंने बताया कि आजादी के पहले कुछ वर्षों तक अंडमान—निकोबार पर जापान का भी आधिपत्य रहा था। निकोबार एक समय डेनमार्क का हिस्सा था। ऐसी अनेक रोचक तथ्यों का जिक्र इस पुस्तक में किया गया है।
लेखकगंज के एक सत्र में प्रसिद्ध लेखक दिव्य प्रकाश दुबे ने लखनऊ की गलियों से लेकर बॉलीवुड की फिल्मों तक के सफर की चर्चा की।
सुनहरी धूप में बच्चों का रोमांच
गोमती पुस्तक महोत्सव में रोज हजारों विद्यार्थी आ रहे हैं और अपनी मनपसंद पुस्तकों के संग सरदी की सुनहरी धूप में यहॉं आयोजित कार्यक्रमों और कार्यशालाओं में भाग ले रहे हैं। शनिवार को यहॉं जाने—माने कार्टूनिस्ट हसन जैदी ने बच्चों को कैरिकेचर के टिप्स देते हुए उनके सामने चाचा चौधरी, आर.के. नारायण कॉमन मैन जैसे प्रसिद्ध पात्रों के कार्टून बनाए। बच्चों ने इस कार्टून कार्यशाला में चरणबद्ध तरीके से कार्टून बनाना सीखा। पुस्तकों की दुनिया में बच्चों को विभिन्न पारंपरिक तरीकों से भी रूबरू करवाकर दोबारा से उन्हें अपनाए जाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। यहाँ एक कार्यशाला में बच्चों को चिट्ठी लिखने की परंपरा से दोबारा जोड़ने के लिए प्रेरित किया गया। उन्हें रजिस्टर्ड डाक की एक किट दी गई, जिसमें पता लिखने का तरीका, स्टाम्प चिपकाने या लगाने का महत्व बताया। डाकरूम से आई मोनिका ने बच्चों को चिट्ठी भेजने के काम को रोचक बनाने के लिए लिफाफा सजाना सिखाया। ‘मौसम में पुरवाई जैसे’ सत्र में सरदी की गुनगनाती धूप में बच्चों ने रोचक कहानियां सुनीं। प्रसिद्ध बालसाहित्यकार संजीव जायसवाल संजय ने ‘सूरज चंदा साथ-साथ’ कहानी सुनाकर सीख दी कि प्रकृति के विरुद्ध किए गए कार्य कभी सफल नहीं होते। इसलिए हम सभी को प्रकृति के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना चाहिए।
गोमती पुस्तक महोत्सव के आठवें दिन बालमंडप में प्रसिद्ध बालसाहित्यकार संजीव जायसवाल संजय ने ‘मौसम में पुरवाई जैसे’ सत्र में ‘चंद्रा गिनती भूल गया’ कहानी सुनाई । बच्चों ने कहानी में शामिल ‘धरती पर जितने बच्चे प्यारे-प्यारे आसमान में उतने तारे’ कविता को उत्साह से गुनगुनाया।
आखिरी दिन रहेगा खास
चिल्ड्रन कॉर्नर में आज कैलिग्राफी, कैरीकेचर और कॉमिक्स बनाने की कला सिखाई जाएगी और डिफेंस सर्विसेज में करियर बनाने की कार्यशाला आयोजित होगी। लेखक गंज पर नेता जी सुभाष चंद्र बोस और गुमनामी बाबा से संबंधित रहस्यों पर चर्चा करेंगे मिशन नेताजी संस्था के संस्थापक अनुज धर, प्रसिद्ध इतिहासकार व लेखक चंद्रचूड़ घोष और टीवी पत्रकार व लेखक आनंद नरसिम्हा।