अमित बिश्नोई
इसका गम नहीं कि घर में पड़ी है मय्यत,
फ़िक्र इसकी है कि मौत ने घर देख लिया
कुछ यही हालत हिमाचल प्रदेश को लेकर कांग्रेस पार्टी की है. राज्यसभा की इकलौती सीट तो कांग्रेस के हाथ से चली ही गयी और अब सरकार के जाने का खतरा भी मंडराने लगा है. इसकी ठोस वजह यह है कि कांग्रेस के 6 विधायक ये कहकर बागी हो गए कि उनका सरकार ने अपमान किया है. तो सुक्खू को उनके द्वारा किये गए अपमान का बदला इन लोगों ने चुका दिया। मामला काफी पेचीदा हो गया है, शिमला की वादियों में राजनीतिक तापमान भी काफी बढ़ गया है. शह और मात का खेल जारी है. बाज़ी कौन मारेगा कहा नहीं जा सकता क्योंकि स्पीकर अपना है मगर राज्यपाल उनका है। चुनाव आयोग मामला पहुंचेगा तो आप समझदार हैं कि फैसला किसके हक़ में आएगा, ये अलग बात है कि अगर सुप्रीम कोर्ट तक बात खिंच गयी तो फिर भाजपा के लिए समस्या हो सकती है.
अभी कल 6 अपने और तीन निर्दलीय विधायकों का दिया हुआ दर्द कम भी नहीं हुआ था कि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के मंत्री पुत्र विक्रमादित्य ने इस्तीफ़ा देकर खेल को और बिगाड़ दिया। उन्होंने भी अपमान की बात कही. अब सीएम सुक्खू ने किस तरह का अपमान किया इसका खुलासा नहीं किया, बस इतना कहा कि उनके क्षेत्र की समस्याओं को सुना नहीं जा रहा था, इसमें अपमान कहाँ से हुआ, और हुआ भी तो ऐसा कि सरकार के खिलाफ चले गए, सरकार के खिलाफ तो गए ही, पार्टी के खिलाफ भी चले गए. बकौल विक्रमादित्य उन्हें पार्टी आला कमान का समर्थन प्राप्त है तो क्या क्रॉस वोटिंग के लिए आला कमान ने उनसे कहा था। सुक्खू से नाराज़गी का ठीकरा बेचारे वकील साहब (अभिषेक मनु सिंघवी) पर क्यों फोड़ा? अब वकील साहब की सादगी और बेचारगी देखिये, कहने लगे उन सभी 9 विधायकों का बहुत बहुत शुक्रिया जिन्होंने रात में उनके साथ खाना खाया, सुबह भी साथ में नाश्ता किया मगर …
खैर विक्रमादित्य के इस्तीफे के बाद पैंतरेबाज़ी शुरू हो चुकी है. सुक्खू भी हार मानने के मूड में नहीं है। भाजपा ने 6 तोड़े तो स्पीकर महोदय ने उनके 15 सस्पेंड कर दिए, अपने वाले भगोड़ों को भी नोटिस जारी कर दिया, विधायकी जाने का खतरा हो गया है. जनता का भी गुस्सा है और कार्यकर्ताओं का भी, तभी तो आज विधानसभा का घेराव हो गया. दरअसल सरकार बचाने और गिराने के जितने अनैतिक फैसले अब होते हैं उन्हें कांग्रेस भी सीख गयी है, पहले इसपर पेटेंट था लेकिन अब कांग्रेस ने पेटेंट हटवा दिया है. बात नाक की बनती जा रही है, यह तो तय है कि मामला अब काफी ऊपर तक जायेगा। भाजपा भी काफी आगे बढ़ चुकी है, पीछे हटती है तो मोदी जी की बदनामी होगी क्योंकि इस तरह की तोड़फोड़ वाली कार्रवाई राज्य के स्तर पर कभी नहीं होती, हमेशा दिल्ली का ही फरमान होता है कि क्या करना है।
कांग्रेस ने कर्नाटक वाले डी के शिवकुमार को हिमाचल बचाने की ज़िम्मेदारी दे दी है, वो पहुँच भी गए हैं. DK ने इसी राज्यसभा चुनाव में भाजपा और जेडीएस की कर्नाटक में दाल नहीं गलने दी थी और अपने तीनों उम्मीदवार जितवा लिए हैं, दिलचस्प बात तो यह है जो भाजपा दूसरों के विधायक तोड़ती है उसी के एक विधायक को डीके ने तोड़ लिया। डीके इस समय कांग्रेस पार्टी के संकट मोचक बन गए हैं। कर्णाटक में जीत के बाद उन्हें तेलंगाना की भी ज़िम्मेदारी दी गयी थी क्योंकि वहां भी खेला करने की कोशिशें चल रही थीं मगर कामयाबी नहीं मिल सकी थी. अब हिमाचल की ज़िम्मेदारी उन्हें मिली है, वैसे आज सीएम सुक्खू ने जो बयान दिया है उसमें तो कॉन्फिडेंस बहुत नज़र आ रहा है, सुक्खू ने कहा कि भाजपा का मिशन नाकाम हो गया है. बात तो सभी 6 विधायकों से चल रही है, सुना है उन विधायकों के घर वाले ही उनसे काफी नाराज़ है क्योंकि लोग उनसे पूछ रहे हैं कि उनके पिता, पुत्र या पति ने ऐसा क्यों किया क्योंकि सुक्खू से सभी खुश हैं। बहरहाल हिमाचल में क्या होगा, स्थिति एक दो दिन में स्पष्ट हो जाएगी लेकिन मौत ने घर तो देख लिया है इसमें कोई दो राय नहीं, अब देखना होगा कि कांग्रेस पार्टी मौत को घर में घुसने देगी या उसे बाहर से भगाने में कामयाब होगी?