नई दिल्ली। प्रतिबंध हटाने के बाद चीन में कोरोना काफी तेजी से फैला है। इससे दुनिया के देशों को चिंता होने लगी हैं। माना जा रहा है कि चीन कोरोना के सही आंकड़े पेश नहीं कर रहा है। जिससे अंदाजा लगाना मुश्किल हो रहा है कि कोरोना संक्रमण की वास्तविक स्थिति क्या है? ड्रैगन की अपारदर्शिता लोगों के लिए खतरा बन रही है। भारी दबाव के बाद चीन ने दिसंबर को प्रतिबंधों को खोल दिया था। जिसके बाद 15 लोगों की मौत की सूचना सामने आई।
डेटा लेने में संक्रमण बनी बाधा
चीन के स्वास्थ्य अधिकारियों ने पिछले हफ्ते स्वीकार किया कि एकत्र किए डाटा का पैमाना अनिवार्य सामूहिक पीसीआर परीक्षण की तुलना में छोटा है। सीडीसी अधिकारी यिन वेनवु ने बताया कि अधिकारी अस्पतालों और स्थानीय सरकारी सर्वेक्षणों के साथ-साथ आपातकालीन कॉल वॉल्यूम और बुखार की दवा की बिक्री से डेटा ले रहे हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा समेत कई देशों ने पिछले सप्ताह कहा, वे संक्रमण डाटा पर पारदर्शिता की कमी के कारण चीन से आगमन पर परीक्षण प्रतिबंध लगा रहे हैं।
चीन ने संक्रमण और मृत्यु के आंकड़े प्रकाशित करना किया बंद
बीजिंग ने स्वीकार किया कि पिछले महीने सामूहिक परीक्षण के अंत के बाद प्रकोप के पैमाने को ट्रैक करना असंभव हो गया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने दैनिक राष्ट्रव्यापी संक्रमण और मृत्यु के आंकड़े प्रकाशित करना भी बंद कर दिया। यह जिम्मेदारी चाइनीज सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) को सौंप दी गई है। जो चीन द्वारा आठ जनवरी को बीमारी के लिए अपने प्रबंधन प्रोटोकॉल को डाउनग्रेड करने के बाद केवल एक बार महीने में आंकड़े प्रकाशित करेगा।
भारी संक्रमण का अनुमान
पिछले महीने, स्थानीय और क्षेत्रीय अधिकारियों ने अनुमानित दैनिक संक्रमण प्रकोप काफी बढ़ा है। झेजियांग के तटीय प्रांत में स्वास्थ्य अधिकारियों का मानना है कि पिछले सप्ताह हर दिन दस लाख लोग संक्रमित हो रहे थे। शहरों में कम से कम 30 प्रतिशत आबादी वायरस की चपेट में है। क़िंगदाओ के पूर्वी तटीय शहर ने लगभग 500,000 नए दैनिक मामलों का अनुमान लगाया। डोंगगुआन के दक्षिणी विनिर्माण केंद्र ने 300,000 तक का अनुमान है।