अध्ययन में हुआ बड़ा खुलासा, 40 फ़ीसदी लोगों में मिली समस्या
कोरोना वायरस का असर भारतीयों के फेफड़ों पर सर्वाधिक हुआ है। अन्य देशों के मुकाबले भारत के लोगों में इसके बड़े प्रभाव देखने को मिल रहे हैं। हाल ही में एक अध्ययन में चौंकाने वाला खुलासा भी हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत के लगभग 40 प्रतिशत लोगों में कोरोना से ठीक होने के बाद भी फेफड़ों से संबंधित परेशानियां देखी गई हैं। इनमें काफी संख्या में ऐसे भी मरीज हैं जिनके फेफड़ों की रिकवरी मुश्किल है। इन्हें अब पहले जैसा नहीं किया जा सकता है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि लोगों को खराब फेफड़ों के साथ ही जीना पड़ेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे लोगों में दूसरी बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
ये है रिपोर्ट
वेल्लोर क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज में कोरोना के शिकार हुए मरीजों पर अध्ययन किया गया। मरीजों पर हुए अध्ययन में कई चौंकाने वाले खुलासे हुये। इसके तहत तकरीबन 34% मरीज ऐसे पाए गए जिनमें फेफड़ों की गंभीर समस्या मिली। मरीज का डीएलसीओ टेस्ट यानी हवा से सीधे ऑक्सीजन खींचने की क्षमता का परीक्षण भी करवाया गया। इसमें करीब 45 फ़ीसदी मरीजों में समस्या पाई गई।
मरीजों के लिए हवा से ऑक्सीजन खींचने की क्षमता का काफी नुकसान पाया गया। चिकित्सकों के मुताबिक कोरोना के बाद अधिकतर मरीजों में सिकुड़े हुए फेफड़े मिल रहे हैं। उनमें सांस लेने में परेशानी, जल्दी सांस फूलना, घबराहट जैसी कई समस्याएं भी पनप गई हैं।
कमजोर निकले भारतीय
रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस का विपरीत असर अन्य देशों के मुकाबले भारत के लोगों पर काफी अधिक देखने को मिला है। चीन, अमेरिका और अन्य यूरोपीय देशों के मुकाबले भारतीय लोगों की सेहत में अधिक गिरावट दर्ज की गई है। अन्य देशों के मरीज, जिन्हें कभी भी गंभीर या हल्का कोविड हुआ था, उनमें ठीक होने के बाद मिलने वाली परेशानियों का आंकड़ा काफी कम पाया गया है।
भारतीय मरीजों में ब्लड टेस्ट, वॉक टेस्ट और स्वास्थ्य की अन्य जांच से पता चला कि कोरोना से उनके शरीर को अधिक नुकसान हुआ है। इस रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि अन्य देशों के मुकाबले भारत के लोगों में हाइपरटेंशन, डायबिटीज जैसी समस्याएं भी अधिक पाई जा रही है। चिकित्सकों का कहना है कि यह काफी चिंताजनक स्थिति है।
जिन मरीजों को फेब्रोसिस हुआ है उनके फेफड़ों में अब ऑक्सीजन लेने की प्रक्रिया का स्तर कम मिला है। रिपोर्ट में यह भी पता चला है कि लगभग 8% लोगों के फेफड़ों में हवा के आने जाने के रास्ते ब्लॉक हुए हैं। यानी अब उन्हें ऑक्सीजन खींचने और दूसरी गैस बाहर निकालने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
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