Crisil report: सब्जियों की कीमतों में तेजी का बड़ा कारण मांग और आपूर्ति का बेमेल है। वित्त वर्ष 2003-23 के बीच सब्जी उत्पादन 2.5 गुना तक बढ़ा है। इसके बावजूद प्रति व्यक्ति सब्जी उत्पादन दो गुना से कम बढ़ा है। रिपोर्ट से मिली जानकारी के अनुसार, सब्जियां पूरे साल उगाई जाती हैं।
आपूर्ति की तुलना में सब्जियों की मांग बढ़ी
लोग सब्जियों और फलों को अब अधिक खाने लगे हैं। इसलिए, कीमतों में तेजी आ रही है। क्रिसिल रिपोर्ट के मुताबिक, अब लोग मांस, दालें, फल और सब्जियों जैसे गैर-अनाज उत्पादों को ज्यादा पसंद करते हैं। इससे आपूर्ति की तुलना में सब्जियों की मांग बढ़ी है। रिपोर्ट के मुताबिक, उत्पादन में अस्थिरता और कीमतों की आपूर्ति-मांग में अंतर से सब्जियों की कीमतों में मौसमी वृद्धि अब आम है। खाद्य सूचकांक में सब्जियों का वजन 15.5 प्रतिशत है। जो अनाज व दूध के बाद अधिक है। मौसम के असंतुलन से प्याज और टमाटर जैसी उपयोग होने वाली सब्जियों की कीमतें बढ़ती हैं। इससे खाद्य महंगाई बढ़ती है। जून में मानसून देरी से आया था। जुलाई में भारी बारिश भी हुई थी। अगस्त में कम फिर सितंबर में भारी बारिश हुई। फसलों के उत्पादन पर काफी बुरा असर पड़ा है।
2016-19 में सब्जियों की महंगाई शून्य फीसदी रही, 2020-23 में 5.7 फीसदी
वित्त वर्ष 2016-19 में सब्जियों की महंगाई औसतन 0 फीसदी थी। वित्त वर्ष 2020-23 के बीच बढ़कर 5.7 फीसदी हो गई। 100 महीनों में सीपीआई में सब्जी महंगाई 49 महीने तक औसत 3.8 फीसदी से ऊपर थी। 35 महीनों में 7 फीसदी से ऊपर, 30 महीनों में 10 फीसदी से ऊपर और 13 महीनों में 20 फीसदी से ऊपर थी। तीन वित्त वर्ष में सब्जी की महंगाई में अस्थिरता देखी गई है।
उत्पादन में ढाई गुना की बढ़त लेकिन मांग उससे ज्यादा
सब्जियों की कीमतों में वृद्धि का एक बड़ा कारण मांग-आपूर्ति का बेमेल है। वित्त वर्ष 2003-23 के बीच सब्जी उत्पादन 2.5 गुना बढ़ गया। प्रति व्यक्ति सब्जी उत्पादन 2 गुना से कम बढ़ा है। रिपोर्ट के मुताबिक, सब्जियां पूरे वर्ष उगाई जाती हैं। इनमें कोई मूल्य संकेत तंत्र जैसे न्यूनतम समर्थन मूल्य या सरकार की ओर से सुनिश्चित खरीदारी नहीं होती है। चीन के बाद भारत दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
व्यवस्था नहीं होने से नुकसान
सब्जियों के रकबे और उत्पादन में वृद्धि हुई है। सब्जियों की कटाई, पैकेजिंग, परिवहन, भंडारण और वितरण में बहुत नुकसान होता है। आलू जैसी सब्जियों को कम नुकसान होता था, बशर्ते देश में कोल्ड स्टोरेज बढ़ा दिए गए हैं। सब्जियों की कीमतों में अचानक उछाल का ग्राहकों पर अधिक असर पड़ता है।