Silver loan demand: बैंकों ने सोने की तरह ही चांदी पर लोन देने की मांग उठाई है। बैंकों ने आरबीआई से कहा है कि जिस प्रकार सोना पर लोन देने के लिए नियम बनाए गए हैं। ठीक उसी प्रकार से चांदी पर भी लोन देने के नियम बनाए जाए।
बैंक ने रिजर्व बैंक से मांग की है कि जैसे वो सोने का उपयोग लोन के लिए करते हैं। वैसै ही भारतीय रिजर्व बैंक चांदी का उपयोग लोन देने के लिए नियम बनाए। भारत से निर्यात होने वाली चांदी की मात्रा में पिछले एक साल में 16 फीसद की बढ़ोतरी हुई है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले एक साल में चांदी के निर्यात में बढ़ोतरी के चलते ही भारत में ज्वैलरी निर्माता बैंकों से चांदी, चांदी आर्टिकल, आभूषण निर्माण की खरीद के लिए लोन की मांग कर रहे हैं।
सूत्र ने कहा, “बैंकों ने पिछले माह एक बैठक में भारतीय रिजर्व बैंक के सामने इस मामले को उठाने का फैसला किया है। सूत्रों की माने तो चांदी का निर्यात इस समय करीब 25,000 करोड़ रुपए तक पहुंचा है। इसके चलते चांदी सेक्टर से कर्ज की भारी मांग है।
उद्योगों में उपयोग होती है चांदी
चांदी का उपयोग उद्योगों में बहुत होता है। चांदी का भाव सोने और औद्योगिक धातुओं दोनों के रुझानों से प्रभावित होता है। जैसा कि अधिकतर देश हरित वातावरण बनाने पर ध्यान दे रहे हैं। वैसे ही आने वाले वर्षों में कार्बन उत्सर्जन को कम करने, अधिक बिजली का उपयोग करने से संबंधित प्रोजेक्ट में तेजी से निवेश बढ़ेगा। जिसमें चांदी का उपयोग खूब होगा।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा निर्धारित नियम के मुताबिक, कुछ बैंकों को सोना आयात करने की अनुमति मिली है। जो बैंक गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम का हिस्सा हैं। आभूषण निर्यातकों या निर्माताओं को भारत में सोने पर लोन देते हैं।
जब कोई बैंकों से सोना उधार लेता है। ऐसे में उनको भारतीय रुपए में लोन चुकता करना होता है। जो उनके द्वारा उधार लिए सोने के मूल्य के बराबर होता है। बैंक उधारकर्ता को सोना उपयोग करके लोन के एक हिस्से को चुकाने का विकल्प भी देते हैं। लेकिन यह कम से कम एक किलोग्राम या अधिक सोने की मात्रा में होना चाहिए।
सप्लाई और डिमांड के बीच अंतर
बैंक अधिकारी ने बताया कि चांदी के गहने बनाने में सोने के गहने बनाने के जैसा ही जोखिम होता है। इसमें चांदी कीमत और गहने बनाने की प्रक्रिया से जुड़े जोखिम शामिल होते हैं। जेम ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) के अनुसार, ताजा आंकड़ों से जानकारी मिलती है कि वित्त वर्ष 2022-2023 में देश से निर्यात होने वाले चांदी की ज्वेलरी की मात्रा में 16.02 प्रतिशत की तेजी आई है। इन निर्यातों का कुल मूल्य 23,492.71 करोड़ रुपए था। जो पिछले साल के 20,248.09 करोड़ रुपए मूल्य से अधिक है।
पिछले एक दशक में, उत्पादित चांदी की मात्रा मांग की तुलना में काफी कम रही है। जिससे सप्लाई में कमी आई। 2022 में पिछले साल की तुलना में घाटा अचानक 300 फीसद से अधिक बढ़ गया था। जिसका मतलब सप्लाई और डिमांड के बीच अंतर था। इसने लोगों को चांदी के भविष्य के बारे में अधिक आशावादी और सकारात्मक बनाया है।
चांदी की मांग में आएगी तेजी
चांदी की मांग में काफी तेजी आने की संभावना है। क्योंकि इसका उपयोग सर्किट और इलेक्ट्रिक वाहनों के अंदर पुर्जों में अधिक हो रहा है। जैसे-जैसे अधिक से अधिक लोग इलेक्ट्रिक कारों का उपयोग करने लगेंगे, चांदी की जरूरत और अधिक बढ़ेगी। साल की शुरुआत में कहा गया था कि भविष्य में, चांदी की मांग मजबूत रहने की काफी उम्मीद है। इससे कई देश हरित ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इसके अलावा सौर पैनल और इलेक्ट्रिक कार के पुर्जे बनाने के लिए चांदी की मांग बढ़ रही है। उद्योगों में बढ़ी मांग बढ़ने का असर चांदी के दाम पर पड़ेगा।