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Religious: अन्नकूट पर्व गोवर्धन पर बन रहा शोभन योग, ये है पूजन शुभ समय और विधि

धर्मReligious: अन्नकूट पर्व गोवर्धन पर बन रहा शोभन योग, ये है पूजन...

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Govardhan festival 2023, Annakoot festival Govardhan: इस बार गोवर्धन त्यौहार मंगलवार को मनाया जाएगा। मंगलवार को गोवर्धन पर्व पर 120 साल बना अनुराधा नक्षत्र और शोभन योग बन रहा है। इससे गोवर्धन पूजन का महत्व और बढ़ जाता है। गोवर्धन पर्व पर 13 नवम्बर 2023 कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा दोपहर 2:58 से प्रारंभ होकर दिन मंगलवार 14 नवम्बर को दोपहर 2:38 मिनट तक रहेगी। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार इस अन्नकूट पर्व गोवर्धन पर अनुराधा नक्षत्र तथा शोभन योग में चन्द्रमा वृश्चिक राशि में विचरण कर रहे होगें।

बीमारियों और नकारात्मक प्रभावों को दूर करने की क्षमताओं से युक्त

कार्तिक शुक्ल पक्ष जिसमें बलिराज पूजा के साथ गोवर्धन पूजा होती है। हिंदू धर्म के अनुसार ऐसे शुभ योगों में अन्नकूट का पर्व मनाया जाना कृष्ण की कृपा तो दिलाता ही है साथ ही गऊ वर्धन, गऊ पालन व गऊ रक्षा को प्रोत्साहित करते हुए यह सिद्ध करता कि भारतीय संस्कृति में गऊ सर्वोपरि है। इसका गोबर व मूत्र बहुत सारी बीमारियों और विकरणों तथा नकारात्मक प्रभावों को दूर करने की क्षमताओं से युक्त है। गऊ सेवा और गऊ वर्धन हमारे जीवन के प्रत्येक अंग में सकारात्मक प्रभाव बढ़ने के भी योग बनते है। गोवर्धन पूजा परमात्मा कृष्ण की साकार रूप की पूजा है। जो हमे धन, धान्य से पूर्ण तो करती ही है तथा साथ ही भारी प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा भी प्रदान करती है।

गोवर्धन पूजन का शुभ समय और पूजन विधि

लाभामृत योग प्रातः – 10:44 से 01:26 तक शुभ योग – 10:40 से 12:04 तक अभिजीत मुहूर्त – 11:43 से 12:26 तक निषिद्ध राहू काल- 2:46 से 4:07 तक।

गोवर्धन पूजन के लिए सम्भव हो तो गऊ के गोबर का गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाकर गोवर्धन धारी भगवान कृष्ण की मूर्ति अथवा चित्र गोवर्धन पर्वत के नीचे अथवा गोवर्धन पर्वत के ऊपर स्थापित कर पूजित करें। 56 भोग के लिए या तो 56 प्रकार के व्यंजन होने चाहिए अथवा 56 स्थानों पर भोग प्रसाद रख कर गोवर्धन महराज की वह कथा कहनी चाहिए जिसमें इन्द्र के प्रकोप से प्रलयंकारी वर्षा हुई तथा परमात्मा कृष्ण का साकार रूप गोवर्धन पर्वत ने गोकुल व बृजवासियों की रक्षा की। इस प्रकार संकीर्तन करते हुए उस परमात्मा कृष्ण की महिमा का वर्णन करना चाहिए जिन्होंने 7 वर्ष की अवस्था में 7 दिन व 7 रात अपने बांये हाथ की सबसे छोटी उंगली में विराट गोवर्धन पर्वत को उठाये रखा और इन्द्र के अहंकार को शमित किया।

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