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राजनैतिक दांव पेंच या दिशाहीन हुए अखिलेश यादव

आर्टिकल/इंटरव्यूराजनैतिक दांव पेंच या दिशाहीन हुए अखिलेश यादव

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मेरठ समेत कई सीटों पर समाजवादी पार्टी से बदले जा रहे प्रत्याशी, पार्टी में आंतरिक कलह का माहौल

पारुल सिंघल

उत्तर प्रदेश के सबसे युवा मुख्यमंत्री का खिताब हासिल कर चुके सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव आगामी लोकसभा चुनावों में पूरी तरह डावांडोल नजर आ रहे हैं। मेरठ समेत कई सीटों पर अंतिम समय तक प्रत्याशियों का बदला जाना इस बात का स्पष्ट प्रमाण है। समाजवादी पार्टी में चल रही इस तरह की ऊहापोह की स्थिति को लेकर कहा जा रहा है अखिलेश यादव दिशाहीन हो गए हैं। बीते कुछ समय से अपनी राजनीति को सुधारने में लगे अखिलेश यादव हालांकि इसे राजनैतिक दांवपेंच बता रहे हैं। उनका मानना है की पीडीए के तहत तय रणनीति के मद्देनजर पार्टी हित में वह फैसले ले रहे हैं।

क्यों नहीं मेरठ को साध पा रहे ‘ सुल्तान’ ?

टीपू सुल्तान से नाम से लोकप्रिय अखिलेश कुछ भी कहें लेकिन राजनैतिक विश्लेषक सपा द्वारा मेरठ में बार बार प्रत्याशी बदले जाने को लेकर अलग ही राय रखते हैं। उनका मानना है नेताजी के बाद पार्टी का बंटाधार हो चुका है। मेरठ में पार्टी के भीतर दबाव की राजनीति शुरू हो गई है।देखा जाए तो लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की सबसे ज्यादा फजीहत मेरठ हापुड़ लोकसभा सीट पर दिखाई दे रही है। दूसरे चरण के नामांकन के अंतिम दिन तक भी इस सीट पर सपा सुप्रीमो अपना प्रत्याशी तय नहीं कर पाए। जातीय समीकरण हो या जनप्रिय नेता का चुनाव, इस सीट पर सही प्रत्याशी को चुन पाना अखिलेश यादव के लिए टेढ़ी खीर साबित हुआ। सबसे पहले पार्टी द्वारा भानु प्रताप सिंह को इस सीट का प्रत्याशी घोषित किया गया, पहले दिन से ही इसका भरपूर विरोध हुआ। पार्टी में दो फाड़ की स्थिति तक बन गई। काफी मशक्कत के बाद सपा सुप्रीमो ने यह टिकट सरधना विधायक अतुल प्रधान को दिया। इस फैसले के बाद से पार्टी के आंतरिक कलेश और बढ़ गए।

पार्टी समर्थक समेत कई सदस्यों को अखिलेश यादव का यह फ़ैसला कतई पसंद नहीं आया। अतुल प्रधान का यह कहकर विरोध किया गया कि हर बार उन्हें ही टिकट क्यों ? बीते बुधवार को अतुल प्रधान ने इसी विरोध के बीच सपा सिंबल पर अपना नामांकन जरूर दर्ज करवाया पर देर रात पार्टी में प्रत्याशी बदले जाने को लेकर खलबली मची रही। काफी घमासान के बाद जन लोकप्रिय नेता योगेश वर्मा को टिकट दिए जाने की चर्चाएं सामने आई, अंतिम समय तक लेकिन ये नाम भी फाइनल नहीं हो सका। अंत में पूर्व विधायक की पत्नी सुनीता वर्मा को सपा ने इस सीट से अपना प्रत्याशी घोषित किया। मेरठ को साधना अखिलेश यादव के लिए बड़ा सिरदर्द दिखाई दे रहा है।

डर गए अखिलेश

मुरादाबाद, बागपत, बिजनौर समेत मेरठ की सीटों पर प्रत्याशी बदले जाने को लेकर अखिलेश यादव की रणनीति को कोई नहीं समझ पा रहा। माना जा रहा है कि इन चुनावों में इंडिया गठबंधन के बावजूद सपा सुप्रीमो को अपनी हार चुनाव से पहले ही नजर आ रही है। साथ ही पार्टी में हो रहे विरोध और क्लेश को साध पाने में भी अखिलेश यादव कामयाब नहीं हो पाए। कयास लगाए जा रहे हैं की पार्टी सुप्रीमो इस विरोध से डर गए है। उनके डर की एक वजह यह भी मानी जा रही है कि योगेश वर्मा पार्टी से टिकट न मिलने पर काफी नाराज थे। उन्होंने AIMIM से चुनाव लड़ने की ठान ली थी। अखिलेश यादव तक इसकी भनक पहुंची और उनके जनाधार को देखते हुए ही अखिलेश यादव ने एक बार फिर प्रत्याशी बदले जाने का फैसला किया। यह भी माना जा रहा है कि अतुल प्रधान भी इस टिकट को छोड़ने के लिए कतई तैयार नहीं थे। अखिलेश यादव ने उन्हें हैंडल कर लिया या अतुल प्रधान पार्टी सुप्रीमो से नाराज होकर आगे कोई फैसला लेते हैं यह तो भविष्य के गर्भ में ही छिपा है। फिलहाल मेरठ जैसी सीट पर तीन बार प्रत्याशी बदले जाने को लेकर इसे आगामी चुनावों में सपा सुप्रीमो का दिशाहीन होने से ही जोड़ा जा रहा है।

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