इस लोकसभा चुनाव में रायबरेली और अमेठी, दो सीटें ऐसी हैं जो अभी तक एक पज़ल बनी हुई हैं , लेकिन इस पज़ल पर से रोबर्ट वाड्रा का एक बयान हल्का सा पर्दा उठा रहा है। रोबर्ट वाड्रा ने कहा कि अमेठी के लोगों की चाहत यही है कि गाँधी परिवार से ही कोई यहाँ पर चुनाव लड़े. ये बात तो काफी दिनों से चल रही है लेकिन वाड्रा ने अपने इसी बयान में आगे जो कहा उसका महत्त्व ज़्यादा है. वाड्रा ने कहा अमेठी के लोग तो मुझसे भी अनुरोध कर रहे हैं कि अगर वो राजनीती में आना चाहते हैं तो शुरुआत उन्हें अमेठी से करना चाहिए। वाड्रा के इस बयान के बाद अब लोग इस बात का कयास लगाने लगे हैं कि अमेठी से रोबर्ट वाड्रा स्मृति ईरानी को चुनौती देने जा रहे हैं।
वाड्रा ने आज अपने बयान में कहा कि अमेठी के लोगों को अपनी गलती का एहसास हो गया है और वो दिल से चाहते हैं कि गाँधी परिवार का सदस्य ही कांग्रेस पार्टी की तरफ से अमेठी में चुनाव लड़े. वाड्रा ने के कहा कि अमेठी के लोग लगातार उनसे इस बात के लिए ज़ोर दे रहे हैं कि अगर राहुल गाँधी या प्रियंका यहाँ से चुनाव नहीं लड़ते तो आपको अमेठी से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत करनी चाहिए. वाड्रा ने कहा किसी राजनीतिक कार्यक्रम में मेरी पहली शुरुआत अमेठी से ही 1999 में हुई थी, उस समय प्रियंका अमेठी में थीं। फिलहाल तो रोबर्ट वाड्रा के इस बयान का चुनावी मतलब निकाला जा रहा और कयासबाजियों का दौर शुरू हो गया है.
दरअसल उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी ने अपने कोटे की मिली 17 सीटों में 15 पर उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं लेकिन रायबरेली और अमेठी पर ख़ामोशी है। उधर वायनाड से राहुल गाँधी नामांकन दाखिल कर चुके हैं, ऐसे में ये बड़ा टेढ़ा सवाल बना हुआ है कि राहुल गाँधी अमेठी से भी चुनाव लड़ेंगे। वहीँ सोनिया गाँधी के चुनावी राजनीती से रिटायरमेंट के बाद रायबरेली पर भी कांग्रेस पार्टी अभी तक कोई फैसला नहीं कर पाई है। प्रियंका गाँधी चुनाव लड़ना कब शुरू करेंगी ये भी बड़ा सवाल है. कांग्रेस पार्टी की दुविधा ये है कि राहुल और प्रियंका नहीं तो फिर कौन? बड़ी मुश्किल से 15 उम्मीदवार ढूंढें मिले हैं, दो और कहाँ से लाये जांय ये बड़ा सवाल है। अगर वाड्रा के बयान से कोई संकेत मिलता है तो एक सीट का इंतज़ाम तो हो जाएगा मगर फिर रायबरेली सीट का क्या होगा? क्या रायबरेली प्रियंका संभालेंगी। अगर ऐसा हुआ तो ये भी दिलचस्प होगा?