उत्तर प्रदेश पुलिस ने मास्क न पहनने वालों से 80 करोड़ रुपये वसूले
मास्क न लगाने के मामलों में 50.45 लाख से अधिक चालान
न्यूज डेस्क। उत्तर प्रदेश के लोग जुर्माना भरने को तैयार हैं मगर कोरोना को रोकने के लिये चेहरे पर मास्क लगाना अब भी गंवारा नहीं है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि 23 मार्च, 2020 को पहली बार पूरे देश में लगाये गये लाॅकडाउन से लेकर अब तक उत्तर प्रदेश पुलिस 4.13 लाख से अधिक आरोपितों के विरुद्ध कार्रवाई कर 100 करोड़ रुपये से ज्यादा का जुर्माना वसूला चुकी है। इन आरोपितों में से मास्क न लगाने वालों से ही 80 करोड़ रुपये से अधिक जुर्माना वसूला गया है। बाकी 20 करोड़ रुपये लाॅकडाउन का उल्लंघन करने के अन्य मामलों में वसूला गया है।
देश में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिये 23 मार्च, 2020 को पहली बार लाॅकडाउन लगाया गया था। तब से देश के किसी राज्य में लाॅकडाउन लगाया गया तो कहीं नाइट कफ्र्यू से कोरोना संक्रमण को रोकने का प्रयास किया गया है। उत्तर प्रदेश में इस समय लाॅकडाउन लगा हुआ है और संभावना हैं कि जल्द ही प्रदेशवासियों को लाॅकडाउन की बंदिशों से मुक्ति मिल जायेगी। मगर चिंता इस बात की है कि यूपी के लोग लाॅकडाउन की सख्ती के दौरान भी कोविड-19 के नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। ऐसे में बंदिशे खत्म हो जाने के बाद क्या वह कोविड गाइडलाइन का पालन करेंगे!
23 मार्च, 2020 के बाद से पुलिस ने कोविड गाइडलाइन का पालन न करने वाले 4.13 लाख से अधिक आरोपितों के विरुद्ध का चालान कर 100 करोड़ से अधिक का जुर्माना वसूला है। चिंता की बात यह है कि इनमें से 80 करोड़ रुपये मास्क न पहनने वालों से वसूले गये हैं। यह साफतौर पर जाहिर करता है कि प्रदेश के लोग अब भी मास्क पहनना एक मजबूरी समझते है। एक बार बंदिश कम हुईं नहीं की मास्क जेबों में नजर आयेगा। लेकिन लोगों के मास्क न पहनने से कोरोना का प्रसार तेज होने की आशंका है।
सख्ती के साथ सामाजिक जागरूकता बढ़ाना आवश्यक
मास्क न पहनने वालों के खिलाफ सख्ती दिखाना, चालान काट जुर्माना वसूलने के साथ लोगों में सामाजिक जागरूकता पैदा करना आवश्यक है। क्योंकि 80 करोड़ रुपये जुर्माना भर कर भी लोग मानने को राजी नहीं हैं तो जाहिर है कि वह मास्क पहनने का महत्व समझ नहीं पा रहे हैं। कोरोना व अन्य संक्रामक रोगों से सुरक्षित रखने के लिये आवश्यक मास्क उनको बोझ लगता है और वह मजबूरी में ही मास्क पहन रहे हैं। ऐसे में लोगों को ‘मास्क पहनना मजबूरी नहीं समझदारी’ के प्रति जागरूक करना होगा। लोगों को मुफ्त मास्क वितरण किया जाना एक उचित कदम हो सकता है। मास्क पहनने की अनिवार्यता के साथ लोगों की सोच में बड़े बदलाव की आवश्यकता है। यदि ऐसा न किया गया तो लाॅकडाउन हटाये जाने के बाद कोरोना फिर से फैलने की आशंका बनी रहेगी।कोरोना की पहली लहर के धीमे होने के साथ लोगों ने लापरवाही बरतनी शुरू कर दी थी जिसका खामियाजा आज हम सब भुगत रहे हैं। बेहद जरूरी है कि टीकाकरण अभियान के पूर्ण होने तक मास्क पहनना हम अपनी आवश्यकता समझें, मजबूरी नहीं।