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SBI Report: 2000 रुपए के नोट बंद होने से खपत की मांग में तेजी, SBI Report में खुलासा

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SBI Report: केंद्र सरकार के 2000 रुपए के नोट को वापस लेने का फायदा खपत की मांग में तत्काल तेजी आना से होगा। ऐसा एसबीआई की रिपोर्ट में खुलासा किया गया है। एसबीआई के अनुमान के मुताबिक उपभोग मांग में 55,000 करोड़ रुपए का इजाफा हो सकता है। एसबीआई ने कहा कि नोटबंदी के विपरीत 2000 रुपए का नोट बैंक में वैध मुद्रा में बना रहेगा। इससे खपत में तेजी आएगी।

भारतीय रिजर्व बैंक ने मुद्रा प्रबंधन के तहत 2000 रुपए के नोटों को चलन से बाहर करने का फैसला किया है। लेकिन आरबीआई के इस फैसले से विभिन्न आर्थिक मोर्चोें पर सुधार की संभावना है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने इसका खुलासा अपनी रिपोर्ट में किया है। जिसमें एसबीआई ने कहा कि 2,000 रुपए के नोटों को वापस लेने से जमा, क्रेडिट और खपत पर असर पड़ेगा। एसबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक उपभोग मांग में 55,000 करोड़ रुपए की वृद्धि हो सकती है।

पेट्रोल पंपों पर नकद लेनदेन बढ़ा

एसबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक 2000 रुपए के नोट को वापस लेने का बड़ा फायदा खपत की मांग में तेजी आना हो सकता है। एसबीआई के मुताबिक उपभोग मांग में 55,000 करोड़ रुपए की बढ़ोत्तरी हो सकती है। एसबीआई ने कहा कि नोटबंदी के विपरीत 2000 रुपए के नोट बैंक में वैध मुद्रा में बना रहेगा। इसलिए खपत में तेजी देखी जा सकती है। लोग 2000 के नोट ऊचे दाम की वस्तुओं जैसे सोना, एसी, मोबाइल और अचल संपत्ति पर खर्च कर रहे हैं। पेट्रोल पंपों पर नकद लेनदेन में तेजी से वृद्धि हुई है। लोग अपने 2,000 रुपए वहां खर्च कर रहे हैं। रिपोर्ट में ऑल इंडिया पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन (एआईपीडीए) के हवाले से कहा है कि पेट्रोल पंपों पर डिजिटल भुगतान की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत से घटकर 10 प्रतिशत रह गई है।

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर कैश ऑन डिलिवरी बढ़ी

एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार लोगों ने कैश-ऑन-डिलीवरी के साथ आइटम ऑर्डर करना शुरू कर दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जोमैटो के 75 फीसदी आर्डर कैश-ऑन-डिलीवरी के हैं, लोग 2000 रुपए नोटों के साथ भुगतान कर रहे हैं। ऑनलाइन ग्रॉसरी सेगमेंट, ई-कॉमर्स और फूड में कैश ऑन डिलीवरी का विकल्प चुनने वाले ग्राहकों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। इसके अलावा बुटीक फर्नीचर, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स जैसी शानदार खरीदारी की बिक्री में तेजी आई है। मंदिरों और अन्य धार्मिक संस्थानों को 2000 रुपये के नोटों के माध्यम से दान में वृद्धि हुई है।

19 मई को RBI ने लिया 2000 रुपए को चलन से बाहर करने का फैसला

बीते 19 मई को RBI ने 2000 रुपए के नोटों को चलन से बाहर करने का फैसला किया था। जिसमें कहा गया था कि बचत बैंकों में 2000 रुपए के नोटों के जरिए जमा कराई जाने वाली 92,000 करोड़ रुपए की धनराशि से करीब 55,000 करोड़ रुपए निकाले जा सकते हैं। इससे धनराशि की गति बढ़ाने के साथ ही उपभोग को बढ़ावा मिलना चाहिए। 19 मई 2023 को आरबीआई ने 2000 रुपए बैंक नोटों को प्रचलन से वापस लेने का फैसला किया था। हालांकि, आरबीआई ने बैंकों को तत्काल प्रभाव से ऐसे बैंकनोट जारी करना बंद करने की सलाह दी है।

2016 में नोटबंदी के बाद 2000 रुपये के नोट चलन में

2016 में नोटबंदी के बाद 2000 रुपए के नोटों को आरबीआई अधिनियम, 1934 की धारा 24 (1) के तहत प्रचलन में लाया गया था। नोटबंदी के दौरान 500 रुपए और 1000 रुपए के नोटों को वापस लेने के बाद अर्थव्यवस्था की मुद्रा की आवश्यकता को तेजी से पूरा करने के लिए 2000 के नोट बाजार में लाने के बाद यह कदम उठाया गया था।

2000 रुपए के नोटों को बाजार में आने का उद्देश्य तब पूरा हो गया जब अन्य मूल्यवर्ग के नोट पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो गए। इसके बाद 2018-19 में 2000 रुपए के बैंक नोटों की छपाई बंद कर दी गई थी। एसबीआई ने अपनी रिपोर्ट में तर्क दिया कि कैसे 2000 रुपए के नोटों को वापस लेने से ऋणों के पुनर्भुगतान, बैंक जमा, खपत, आरबीआई के खुदरा डिजिटल मुद्रा के उपयोग और समग्र आर्थिक विकास को बढ़ावा मिल सकता है।

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