देश की चुनावी राजनीती में हमेशा से खिलाडियों का दखल रहा है. खिलाड़ी चुनाव लड़ते रहे हैं, जीतकर विधायक भी बने हैं, सांसद भी बने हैं और मंत्री भी. एक लम्बी फेहरिस्त हैं ऐसे लोगों कि जिन्होंने खेल से रिटायरमेंट के बाद राजनीति में कदम रखा है और उसमें कुछ तो काफी सफल भी रहे हैं है और उनका राजनीतिक कैरियर भी खेल की तरह लम्बा रहा है. हॉकी ओलम्पियन असलम शेर खान ऐसा ही एक नाम थे जो कांग्रेस पार्टी से लगातार सक्रीय राजनीती में रहे, भोपाल से सांसद भी रहे, केंद्र में मंत्री भी रहे. अब इस कड़ी में एक नया नाम जुड़ गया है और वो है युसूफ पठान का जिन्होंने 2007 और 2011 के विश्व खिताबों में अपना बहुमूल्य सहयोग दिया। युसूफ पठान अपने राजनीतिक पारी पश्चिम बंगाल से शुरू करने जा रहे हैं। उन्हें तृणमूल कांग्रेस ने बहरामपुर से टिकट दिया है.
तृणमूल कांग्रेस ने आज जिन 42 लोकसभा सीटों पर नामों का एलान किया उनमें युसूफ पठान का भी नाम शामिल है. बहरामपुर से मौजूदा सांसद कांग्रेस पार्टी के अधीर रंजन चौधरी हैं, हालाँकि कांग्रेस ने अभी अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा नहीं की है लेकिन कहा जा रहा है कि युसूफ पठान का मुकाबला उन्ही से होगा जो कड़ा मैच साबित हो सकता है. हालाँकि ये पता नहीं चल पाया कि क्रिकेट से अचानक राजनीति में उनकी इंट्री कैसे हो गयी, वो भी चुनावी राजनीती में क्योंकि इससे पहले उन्हें किसी भी राजनीतिक गतिवधि में देखा नहीं गया. तो क्या उनका चयन बहरामपुर की डेमोग्राफी को लेकर किया गया है. बहरामपुर में अल्पसंखयक वोट भारी संख्या में हैं. अधीर रंजन का ममता बनर्जी के साथ 36 का आंकड़ा है। पश्चिम बंगाल में जनाधार न होने के बावजूद अधीर रंजन ममता के खिलाफ लगातार मोर्चा खोले रहते हैं. कांग्रेस पार्टी से गठबंधन न होने एक बड़ी वजह अधीर रंजन को बताया जा रहा है. युसूफ पठान की उम्मीदवारी घोषित होने के बाद अधीर रंजन ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि ममता बनर्जी भाजपा को नाराज़ नहीं करना चाहती।
बहरहाल युसूफ पठान के साथ एक और पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आज़ाद भी तृणमूल कांग्रेस की तरफ से चुनावी मैदान में है. 1983 विश्व कप विनिंग टीम के सदस्य रहे कीर्ति आज़ाद वर्दवान दुर्गापुर से उम्मीदवार बने हैं. राज्यवर्धन राठौर, गौतम गंभीर, नवजोत सिद्धू, मोहम्मद अज़रुद्दीन, चेतन चौहान। ये सब लोकसभा में उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं, मोहम्मद कैफ भी चुनाव लड़ चुके है, हालाँकि वो हार गए थे. श्रीसंत भी भाजपा के टिकट पर किस्मत आज़म चुके है। ये कुछ नाम हैं, ऐसे बहुत से नाम हैं जो खेल और राजनीती दोनों में अच्छा या ख़राब प्रदर्शन कर चुके हैं. अब देखना है कि चौके छक्के मारने के लिए मशहूर युसूफ पठान अपनी राजनीतिक पारी में कितने चौके छक्के लगा पाते हैं.