अभी कुछ दिनों पहले ही विधानसभा चुनावों में भाजपा की गारंटी की जगह मोदी की गारंटी ने ले ली थी. भाजपा और केंद्र सरकार इसको अब एक हिट स्लोगन के रूप में लगातार इस्तेमाल कर रही है, प्रधानमंत्री मोदी भी अब सीधा मोदी की गारंटी की बात करने लगे हैं ऐसे में 1 फरवरी को पेश होने वाले अंतरिम बजट जिसे चुनावी बजट भी कहा जा रहा है में मोदी की गारंटी की छाप दिखाई दे सकती है और शोर सुनाई दे सकता है. इस अंतरिम बजट में मतदाताओं के बड़े वर्ग को आकर्षित करने के लिए ‘लोकलुभावन योजनाएं’ पेश की जा सकती हैं।
पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग के मुताबिक मोदी की गारंटियों को पूरा करने के लिए सरकार राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को लेकर थोड़ी रियायत भी ले सकती है। बता दें कि लोकसभा चुनाव से पहले पेश होने वाला अंतरिम बजट में सत्ताधारी पार्टी के पास मुफ्त और लोकलुभावन योजनाओं के जरिये मतदाताओं को आकर्षित करने का एक मौका होता है। मोदी सरकार ने 2019 में पेश हुए अंतरिम बजट में मध्यम वर्ग, किसानों और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को लक्षित किया था। इन सभी वर्गों के देश में लगभग 75 करोड़ मतदाता हैं, इसलिए सरकार इस बार भी इन मतदाताओं का खास ध्यान रखेगी।
पिछले अंतरिम बजट में पीयूष गोयल ने पांच लाख रुपये तक की कर-योग्य आय को आयकर से छूट दी थी इसके साथ ही प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत 12 करोड़ किसानों को सालाना 6,000 रुपये नकद भी उपलब्ध कराने की घोषणा की थी। वहीँ असंगठित क्षेत्र से जुड़े 50 करोड़ श्रमिकों को सेवानिवृत्ति पेंशन में सरकारी योगदान का भी प्रस्ताव किया गया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनावों में 450 रुपये में एलपीजी गैस सिलेंडर, गरीब महिलाओं को 1,250 रुपये का नकद हस्तांतरण, 21 साल की उम्र तक की गरीब लड़कियों को दो लाख रुपये आदि की घोषणाएं कर ‘मोदी की गारंटी’ का नाम दिया था। अब देखना है कि आने वाले अंतरिम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मोदी की कितनी गारंटियां पूरी करती है.