depo 25 bonus 25 to 5x Daftar SBOBET

क्या भाजपा चमत्कार की हैटट्रिक पूरी करेगी?

आर्टिकल/इंटरव्यूक्या भाजपा चमत्कार की हैटट्रिक पूरी करेगी?

Date:

अमित बिश्नोई
केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी को अगर दिल्ली विधानसभा की सत्ता नहीं मिलती है तो यकीनन उसे बड़ी तकलीफ होती है. उसके पास उस दिल्ली शहर की पूरी कानून व्यवस्था होती है, और भी बहुत कुछ उसी के इशारे पर होता है क्योंकि दिल्ली LG के रूप में उसी का नामित व्यक्ति बैठा होता है जो दिल्ली सरकार के हर फैसले को प्रभावित करने का हक़ रखता है, राज्यों के राज्यपालों से कहीं ज़्यादा उसका दखल होता है जिसे पिछले 11 सालों से दिल्ली और देश के लोग देख रहे हैं। दरअसल मोदी जी और केजरीवाल का दिल्ली के परिदृश्य पर उद्भव एक साथ ही हुआ. मोदी जी केंद्र की सत्ता पर काबिज़ हो गए और केजरीवाल दिल्ली की सत्ता पर. तब से दोनों में शह और मात का खेल जारी है. गुजरात से दिल्ली आने के बाद से मोदी जी ने एक तरह से पूरे देश में अपना परचम लहराया सिवाए दिल्ली और पश्चिम बंगाल को छोड़कर। यही वजह है कि जब भी वेस्ट बंगाल और दिल्ली के चुनाव आते हैं तो मोदी जी ओवर एक्टिव हो जाते हैं. उन्होंने ममता और केजरीवाल के खिलाफ हर वो पैंतरे आज़माये जो दूसरे राज्यों के नेताओं के खिलाफ आज़मा चुके थे और अधिकांश राज्यों में वो उन नेताओं को झुकाने और अपनी मर्ज़ी मनवाने में कामयाब भी हुए लेकिन ममता और केजरीवाल एक कांटे की तरह उन्हें चुभन दे रहे हैं.

अब एकबार फिर दिल्ली विधानसभा के चुनाव आ गए हैं और एकबार फिर केजरीवाल को उखाड़ फेंकने के लिए मोदी जी और भाजपा ने कमर कस ली है, मोदी जी ने शहंशाहे आपदा और शीशमहल का मुद्दा दिल्ली वालों के सामने रख दिया है बदले में केजरीवाल ने राजमहल की बात लोगों के सामने रखी है. शराब घोटाले का जिन्न एकबार फिर सामने आया है, भाजपा उस CAG रिपोर्ट के सहारे केजरीवाल सरकार को भ्रष्ट साबित करने की कोशिश कर रही है जो अभी सार्वजानिक नहीं हुई है. भाजपा इसी रिपोर्ट के सहारे केजरीवाल और दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार पर हज़ारों करोड़ के घोटाले का आरोप लगा रही है. भाजपा जिस CAG रिपोर्ट की जानकारी दी है उसके मुताबिक कैग ने कहा है कि शराब नीति मामले में गलत नीति की वजह से दिल्ली सरकार को दो हज़ार करोड़ से ज़्यादा रूपये का नुक्सान हुआ है. कैग रिपोर्ट की असलियत क्या है यह तो उसके सामने आने के बाद ही पता चलेगा। यह रिपोर्ट सामने क्यों नहीं आ रही है, इसपर भी आरोप प्रत्यारोप का दौर चल रहा है. AAP कह रही कि रिपोर्ट मंज़ूरी के लिए LG के पास भेजी गयी थी. वो अभी वहीँ पड़ी हुई है और वहीँ से इस रिपोर्ट को लीक किया जा रहा है. वहीँ आज दिल्ली हाई कोर्ट ने आप सरकार को फटकार लगाई और कहा कि आप जिस तरह से टालमटोल कर रहे हैं, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। आपको कैग रिपोर्ट स्पीकर को भेजने और विधानसभा में चर्चा करने में तत्पर होना चाहिए था। न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने कहा, उपराज्यपाल को रिपोर्ट भेजने में देरी और मामले को संभालने का आपका तरीका आपकी ईमानदारी पर संदेह पैदा करता है।

कहने का मतलब भाजपा केजरीवाल को शराब नीति मामले में घेरने में कामयाब होती दिख रही है, वहीँ इस चुनाव में तीसरी ताकत बनने की कोशिश में जुटी कांग्रेस भी केजरीवाल और आम आदमी पार्टी सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है. 6 महीने पहले यही AAP और कांग्रेस लोकसभा चुनाव के दौरान गलबहियां डाले हुए थे, मिलकर चुनाव लड़ रहे थे, आज एक दुसरे पर हमले का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं. दिल्ली का वोटर भी कन्फ्यूज़ है कि इन दोनों को एक माने या फिर अलग अलग. अगर अलग मानता है तो फिर वो आप के साथ जाय या फिर कांग्रेस के साथ क्योंकि देखा जाय तो दोनों ही पार्टियों का वोट बेस एक ही है. 2008 में जो कांग्रेसी थे, उन्हीं कांग्रेसियों में से निकलकर 2013 में लोग आपी बने, जो थोड़े बहुत कांग्रेसी आपी बनने से बचे रह गए थे वो 2014 में आप में समा गए. 2013 में केजरीवाल ने कांग्रेस की आठ सीटों का साथ लेकर सरकार बनाई थी जो चल नहीं सकी, इसलिए 2014 में फिर चुनाव हुआ और आदमी पार्टी ने कांग्रेस पार्टी का पूरी तरह सूपड़ा साफ़ कर दिया। जिसके नतीजे में आम आदमी पार्टी ने 28 से सीधे 67 सीटों पर छलांग लगाई। भाजपा का वोट शेयर तो लगभग वैसा ही रहा लेकिन सीटें सिर्फ तीन ही मिल पायीं, ज़ाहिर सी बात है कि कांग्रेस का सफाया हो गया जो अभी तक जारी है क्योंकि 2020 के चुनाव में भी वो खाता नहीं खोल पायी थी, भाजपा ने ज़रूर अपनी सीटों की संख्या आठ कर ली थी, वहीँ मामूली वोट शेयर में गिरावट के साथ आप को 62 सीटें मिली थीं।

11 साल दिल्ली की सत्ता पर काबिज़ रहने के बाद क्या केजरीवाल चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे, बड़ा सवाल यही है. क्या दिल्ली की जनता में आप सरकार के प्रति कोई नाराज़गी है, नाराज़गी है क्या इतनी बड़ी है कि AAP को सत्ता से बेदखल कर देगी। क्या भाजपा 26 साल का सूखा समाप्त कर पायेगी। बता दें कि राज्य पुनर्गठन के बाद 1993 में हुए दिल्ली विधानसभा के पहले चुनाव में भाजपा को सफलता मिली थी और पांच वर्षों के कार्यकाल में भाजपा ने दिल्ली को तीन मुख्यमंत्री दिए थे. उसके बाद लगातार 15 साल कांग्रेस की शीला दीक्षित का दिल्ली में शासन रहा और फिर अन्ना आंदोलन ने केजरीवाल को दिल्ली की कुर्सी तक पहुंचा दिया। दिल्ली के लोग AAP के 11 सालों के शासन के बाद केजरीवाल के बारे में क्या सोचते हैं. पिछले एक साल में केजरीवाल के खिलाफ बहुत हुआ, जेल भी गए, बाहर भी आये, मुख्यमंत्री का पद ये कहकर छोड़ा कि जनता जब फिर से जनादेश देगी तब मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। अब बड़ा सवाल यही है कि क्या जनता केजरीवाल के पक्ष में अपना जनादेश देगी? यहाँ मैं एक सर्वे का ज़िक्र करूंगा। इस सर्वे के आंकड़े अभी हाल ही में सामने आये हैं और इन आंकड़ों से यही अनुमान लगता है कि आज अगर चुनाव हो जांय तो आदमी पार्टी की सरकार बन रही है। यह अलग बात है कि इस बार उसे 2015 जैसा बहुमत मिलता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है. मतदान में अभी तीन हफ्ते का समय बाकी है, इन तीन हफ़्तों में भाजपा क्या कोई चमत्कार कर सकती है. हरियाणा और महाराष्ट्र में तो उसने चमत्कार करके दिखाया भी है, तो बड़ा सवाल यही है कि क्या भाजपा चमत्कार की हैटट्रिक पूरी करेगी या फिर केजरीवाल भाजपा के हथकंडों का अच्छी तरह से जवाब देकर अपनी सरकार को बरकरार रखने में कामयाब होंगे।

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

दिल्ली में चुनावी रेवड़ी बाँटने के लिए भाजपा को चाहिए 13000 करोड़

दिल्ली में चुनाव जीतने के लिए भाजपा ने दिल्ली...

OpenAI खरीदने के जवाब में सैम ऑल्टमैन ने मस्क के सामने रख दी ‘एक्स’ को खरीदने की पेशकश

ट्विटर (एक्स)के मालिक और अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के...

दिल्ली के लोग भ्रष्टाचार और झूठ बर्दाश्त नहीं करते, जीत के बाद बोले पीएम मोदी

दिल्ली विधानसभा चुनाव में शानदार जीत के बाद भाजपा...

AAP की हार के लिए कांग्रेस ज़िम्मेदार नहीं: श्रीनेत

दिल्ली विधानसभा चुनाव की मतगणना के दौरान शनिवार को...