अमित बिश्नोई
टी-20 क्रिकेट की नयी बादशाहत अब इंग्लैंड के नाम हो गयी है, या फिर ऐसा भी कह सकते हैं कि इंग्लैंड इस वक्त सफ़ेद बॉल क्रिकेट का किंग है क्योंकि इस वक़्त 50 और 20, दोनों फॉर्मेट के विश्व कप उसकी झोली में हैं. टी 20 विश्व कप समाप्त हो गया और अब दो साल बाद वेस्टइंडीज में इसका आयोजन होगा जिसके कुछ मैच अमेरिका में भी खेले जायेंगे. अगले साल 50 ओवरों का विश्व कप होने वाला है जो भारत में होगा। फिलहाल टीमें अब उसकी तैयारी में जुटेंगी। ICC टी-20 रैंकिंग में पहले पायदान पर बैठी टीम इंडिया इस विश्व कप को हासिल करने के लिए सबसे फेवरिट मानी जा रही थी. पिछले विश्व कप में नॉक आउट स्टेज में न पहुँच पाने वाली टीम इंडिया एक साल से इस विश्व कप की तैयारी कर रही थी, बावजूद इसके नतीजा अच्छा नहीं रहा.
कब सीखेंगे सबक
अब सवाल उठता है कि टीम इंडिया ने इस विश्व कप से क्या सबक सीखा, और सबक सीखा है तो अब अपनी गलतियों को कैसे दुरुस्त किया जायेगा क्योंकि सबक तो पहले भी सीखा था, बल्कि 2007 के बाद से सीख रहे हैं लेकिन क्या सीख रहे हैं यह नहीं मालूम। इस बार भी जो गलतियां की गयीं वो आगे भी दोहराई जाएँगी या फिर सच में इसमें कोई सुधार आएगा, इस बारे में गारंटी से कुछ भी नहीं कहा जा सकता। 2021 में हार के बाद जब रोहित शर्मा के हाथ में कप्तानी आयी तो कहा गया कि अब से टी-20 क्रिकेट को उसी के अंदाज़ में खेला जायेगा, परवाह नहीं कि विकेट गिरते हैं या नहीं। इस पर अमल भी हुआ लेकिन सिर्फ बाईलेटरल सीरीजों में. क्योंकि जब हम एशिया कप में गए तो यह टेमपलेट नदारद था, इस विश्व कप में भी कहीं नज़र नहीं आया, जबकि विश्व कप से ठीक पहले ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ श्रृंखलाओं में यह टेमपलेट मौजूद था.
पारम्परिक क्रिकेट से नहीं चलेगा काम
तो ऐसा क्या हो जाता है कि नॉक आउट वाले मुकाबलों में हम दस साल पुरानी क्रिकेट को खेलने लगते हैं. इंग्लैंड को देखिये वह पिछले कुछ सालों में white बॉल क्रिकेट में कैसी क्रांति ले आया. उसने दिखा दिया कि यह आजके दौर की क्रिकेट है तो इसे आज के हिसाब से ही खेलना होगा। आप इसे पारम्परिक तौर पर नहीं खेल सकते। आज नतीजा सबके सामने है, इस क्रिकेट के दोनों विश्व कप उसके पास हैं. आप अंदाज़ा लगाइये कि जो रुट जैसा बल्लेबाज़ उनकी सफ़ेद बॉल क्रिकेट में कहीं फिट ही नहीं बैठता। क्या आप उम्मीद कर सकते हैं कि जो रुट जैसा इतना बड़ा बल्लेबाज़ आपके पास हो और आप उसे टीम से दूर रखें, शायद नहीं। हम दो देशो की क्रिकेट में तो बादशाह बन जाते हैं लेकिन जब मुकाबला ICC का होता है तो सारी बादशाहत घर में छोड़ जाते हैं.
वक्त के साथ दौड़ लगाने की ज़रुरत
ऐसा नहीं है कि भारत में टैलेंट की कमी है. दुनिया की सबसे बड़ी लीग भारत में खेली जाती है, पाकिस्तान को छोड़ हर देश का नामी क्रिकेटर यहाँ क्रिकेट खेलता है, हर आईपीएल में कई नए टैलेंट सामने आते हैं, हम उन्हें आज़माते भी हैं, वह अच्छा प्रदर्शन भी करते हैं लेकिन जब हम ICC मुकाबलों जाते हैं तो conservative हो जाते हैं. हम में शायद इतना साहस नहीं कि टीम के बड़े खिलाडियों को यह कह सकें कि आपको अब टेस्ट क्रिकेट खेलना है, या आपको सिर्फ एकदिवसीय क्रिकेट खेलना है. हर फॉर्मेट की एक डिमांड होती है, अगर आपको उसमें कामयाब होना है तो उस डिमांड को पूरा करना होगा वरना जैसे आज पिछड़े हैं आगे भी पिछड़े ही रहेंगे। अगला विश्व कप अभी दो साल दूर है, दो साल ज़्यादा नहीं होते, वक्त तेज़ी से दौड़ता है, आपको भी उसके साथ ही दौड़ लगानी पड़ेगी, वर्ना …