त्योहारी सीजन में गेंहू के दाम फिर से बढ़ने लगे हैं। पिछले 8 माह में गेंहू के दाम रिकार्ड तोड़ दिए गए हैं। माना जा रहा है कि अगर आपूर्ति सीमित बनी रही तो गेहूं के दाम 100 रुपए क्विंटल और बढ़ सकते हैं। सरकार गेहूं की कीमतों को काबू में रखना चाहती है तो उसे आटा मिलों को अधिक मात्रा में गेहूं देना चाहिए।
त्योहारी मांग से गेहूं पर महंगाई का असर दिखने लगा है। मंडियों में हफ्ते भर से गेहूं के दाम में तेजी आई है। इसके भाव 8 महीने के उच्च स्तर पर हैं। त्योहारों पर मांग बढ़ने के साथ गेहूं की सीमित आपूर्ति के कारण कीमतों में तेजी आई है। कारोबारियों का कहना है कि गेहूं आगे और महंगा हो गया है।
ऐसा है मंडियों में गेहूं का भाव
दिल्ली के गेहूं कारोबारी महेंद्र जैन ने सप्ताह भर में गेहूं की थोक कीमतों में 150 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आ चुकी है। दिल्ली की मंडी में गेहूं 2,750 रुपये क्विंटल बिक रहा है। उत्तर प्रदेश की हरदोई मंडी के गेहूं कारोबारी का कहना है सरकार भले गेहूं के दाम नियंत्रित करने के लिए खुले बाजार में बिक्री कर रही है। लेकिन मांग की पूर्ति के लिए ये बिक्री पर्याप्त नहीं है।
उदाहरण के लिए 25 आटा मिलों को पूरी क्षमता से चलाने के लिए रोजाना 2,500 टन गेहूं की जरूरत है। लेकिन खुले बाजार में बिक्री से सप्ताह में 1,100 टन गेहूं मिल रहा है। मंडी में रोजाना आवक 3,000 बोरी की है जबकि सामान्य तौर पर कम से कम 5,000 बोरी गेहूं की आवक होनी चाहिए।
और बढ़ेगी गेहूं की मांग
अभी त्योहार शुरू हुए हैं। आगे शादियों का सीजन शुरू होने वाला है। ऐसे में गेहूं डिमांड और बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि आपूर्ति सीमित बनी रही तो गेहूं के दाम 100 रुपए क्विंटल तक बढ़ सकते हैं। गेहूं की कीमतों को काबू में रखना चाहती है उसे आटा मिलों को अधिक मात्रा में गेहूं देना चाहिए। रोलर फ्लोर मिल मालिकों का कहना है कि गेहूं की कीमतें कम करने के लिए शुल्क मुक्त आयात की अनुमति देने की जरूरत है। खाद्य मंत्रालय के अधिकारी ने पिछले महीने कहा था कि गेहूं पर 40 प्रतिशत आयात शुल्क को खत्म करने की तत्काल कोई योजना नहीं है।