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UP Nikay Chunav: प्रदेश में जिसकी रही सरकार, मेरठ में उसका नहीं बना महापौर

उत्तर प्रदेशUP Nikay Chunav: प्रदेश में जिसकी रही सरकार, मेरठ में उसका नहीं...

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मेरठ। जिस तरह से इस बार विधानसभा चुनाव में हस्तिनापुर का मिथक टूट गया। कुछ ऐसी ही उम्मीद इस बार महापौर चुनाव में भाजपा को होगी। बता दें कि हस्तिनापुर में जिस पार्टी का विधायक जीत दर्ज करता है उसकी ही सरकार प्रदेश में बनती है। जबकि मेरठ महापौर सीट से आज तक सत्तादल का प्रत्याशी जीत दर्ज नहीं करा सका। सबसे बड़ा सवाल है कि क्या इस बार भी मिथक कायम रहेगा। या फिर भाजपा हस्तिनापुर की तरह ही रिकार्ड तोड़ेगी। मेरठ महापौर सीट के लिए यह राजनीतिक मिथक नगर पालिका से 1995 में नगर निगम बनने के बाद से 2017 तक चला आ रहा है। इसे लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं हैं।

2017 में बसपा की सुनीता वर्मा बनीं थी महापौर

साल 2017 में उत्तर प्रदेश में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनने के बाद भी यह मिथक नहीं टूटा था। बसपा की महापौर सुनीता वर्मा ने सत्ताधारी दल भाजपा की कांता कर्दम को हराकर निगम में सरकार बनाई थी। साल 1995 से 2017 तक नगर निगम के पांच बार हुए चुनावों में दो बार भाजपा और तीन बार बसपा का महापौर बना है। निगम के इतने लंबे कार्यकाल में एक बार भी सामान्य वर्ग का महापौर नहीं बना। चार बार पिछड़ा वर्ग और एक बार अनुसूचित जाति के व्यक्ति ने महापौर की कुर्सी संभाली।

मेरठ में अब तक की ये है स्थिति

1995 में नगर महापालिका के 60 वार्ड थे। नगर प्रमुख का यह पहला चुनाव जनता की वोट से हुआ। बसपा प्रत्याशी अयूब अंसारी नगर प्रमुख चुने गए। हालांकि बाद में नगर प्रमुख का पद महापौर के नाम से जाना गया। वर्ष 2000 में सीमा विस्तार हुआ और 70 वार्ड बन गए। बसपा के हाजी शाहिद अखलाक महापौर चुने गए। वर्ष 2006 में निगम के 80 वार्ड हो गए। भाजपा की पिछड़ा वर्ग से मधु गुर्जर महापौर बनीं। वर्ष 2012 में पिछड़ा वर्ग से भाजपा के हरिकांत अहलुवालिया महापौर बने। 2017 में 90 वार्ड में चुनाव हुआ। एससी कोटे से बसपा की सुनीता वर्मा महापौर चुनी गईं।

1993 से अब तक उप्र में इन दलों की रही है सरकार

चार फरवरी 1993 से तीन जून 1995 तक उप्र में सपा की सरकार रही और मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव रहे। तीन जून 1995 से 18 अक्तूबर 1995 तक यानी छह माह बसपा की सरकार नहीं रही। इसके बाद 21 मार्च 1997 से 21 सितंबर 1997 तक फिर बसपा की मायावती मुख्यमंत्री रहीं। 28 अक्तूबर 2000 से आठ मार्च 2002 तक भाजपा के राजनाथ सिंह मुख्यमंत्री रहे। तीन मई 2002 से 29 अगस्त 2003 तक बसपा सुप्रीमो मायावती की उप्र में सरकार रही। 29 अगस्त 2003 से 13 मई 2007 तक सपा मुखिया मुलायम सिंह ने सरकार चलाई। 13 मई 2007 से 15 मार्च 2012 तक बसपा की पूर्ण बहुमत की सरकार रही। 15 मार्च 2012 से 19 मार्च 2017 तक सपा की सरकार रही और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव रहे। 19 मार्च 2017 से अब तक भाजपा की सरकार है। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं।
क्या भाजपा तोड़ पाएगी मिथक
सपा के जिलाध्यक्ष जयवीर सिंह का कहना है कि भाजपा इस मिथक को कभी नहीं तोड़ पाएगी। इस बार सपा की महापौर बनेंगी। पिछली बार भी सपा की ही महापौर थीं। भाजपा की कार्यप्रणाली जनता देख रही है।
इस बार टूटेगा मिथक
वहीं भाजपा के महानगर अध्यक्ष मुकेश सिंघल का कहना है कि जनता बहुत जागरूक है। दूसरे दलों का महापौर बनने से अब तक मेरठ महानगर का नुकसान हुआ है। इस बार यह मिथक टूटेगा और भाजपा का महापौर बनेगा।

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