समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एकबार फिर योगी सरकार पर पिछड़ों और दलितों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया है। सपा प्रमुख ने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार एक साज़िश के तहत पिछड़ों और दलितों के आरक्षित पदों को समाप्त कर रही है। अखिलेश ने कहा कि आरक्षण को खत्म करने के लिए ही योगी सरकार निजीकरण को बढ़ावा दे रही है। सरकारी विभागों में निकलने वाली नौकरियां और भर्तियों में भी पिछड़ों और दलितों की कोई न कोई कारण बताकर भर्ती नही की जा रही है। सरकार बाद में इन खाली पदों पर अपने चहेतों को बिठा देती है।
दलितों, पिछड़ों के साथ भाजपा ने हमेशा किया भेदभाव
अखिलेश ने भाजपा को सामाजिक न्याय की विरोधी बताते हुए कहा हर कदम पर दलितों, पिछड़ों के साथ भाजपा भेदभाव कर रही है। उन्होंने कहा कि पीजीआई लखनऊ में पिछले दिनों ही आरक्षण के नियमों को दर किनार कर SC ST और पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित पदों को खाली छोड़ दिया गया। विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति में भी दलितों, पिछड़ों की उपेक्षा की गयी। 69 हजार शिक्षक भर्ती में पिछडो को उनका हक़ नहीं मिला, बडे़ पैमाने पर अनियमितता हुई।
जातीय जनगणना से डरती है भाजपा
अखिलेश ने कहा कि लम्बे समय से समाजवादी पार्टी पिछड़ों और दलितों के हक और सम्मान दिलाने के लिए जातीय जनगणना की मांग करती आ रही है लेकिन भाजपा सरकार लगातार इसका विरोध कर रही है। सपा मुखिया ने कहा कि दलितों OBC को उनका हक और सम्मान दिलाने, उनके साथ हो रहे भेदभाव और अन्याय को खत्म करने के लिए जातीय जनगणना बेहद जरूरी है, लेकिन भाजपा जातीय जनगणना से डरती है। अखिलेश ने कहा कि हकीकत तो यह है कि जातीय आंकड़े होने से सरकारी योजनाएं बनाने में आसानी होगी। अखिलेश ने कहा कि भाजपा की यही परेशानी है कि जब जातीय आंकड़े पूरी तरह से सामने आ जायेंगे तो उसकी कलई खुल जाएगी, उसके झूठ पर से पर्दा हट जायेगा.