केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक को मंजूरी दे दी है, अब ये विधेयक सदन में पेश होगा। बता दें कि इसके लिए संविधान में संशोधन करना होगा और संविधान में संशोधन करने के लिए कम से कम छह विधेयकों की आवश्यकता होगी और सरकार को संसद में दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार द्वारा संसद के चल रहे शीतकालीन सत्र में विधेयक पेश किए जाने की उम्मीद है। रिपोर्ट्स के अनुसार सरकार विधेयक पर आम सहमति बनाने की कोशिश कर रही है और इसे विस्तृत चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति को भेज सकती है। इस विधेयक का उद्देश्य 100 दिनों के भीतर लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराना है उसके बाद शहरी निकाय और पंचायत चुनाव भी कराए जाएंगे। विधेयक में प्रावधान पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली एक उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों पर आधारित हैं जिसने इस विषय पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की है।
कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट में बार-बार चुनाव होने के नुकसानों पर प्रकाश डाला गया है और कहा गया है कि इससे अक्सर अनिश्चितता का माहौल बनता है, जिससे नीतिगत निर्णय प्रभावित होते हैं। समिति के निष्कर्षों से पता चलता है कि एक साथ चुनाव कराने से नीतिगत स्थिरता बढ़ेगी, मतदाता थकान कम होगी और मतदान में सुधार होगा। 18,626 पृष्ठों की यह व्यापक रिपोर्ट 2 सितंबर, 2023 को समिति की स्थापना के बाद 191 दिनों में विभिन्न हितधारकों, विशेषज्ञों और शोध के साथ व्यापक परामर्श का परिणाम है।
वहीँ विपक्ष ने सरकार के इस विचार को अव्यावहारिक बताया है जिसमें चुनाव आयोग के सामने आने वाली चुनौतियों की ओर इशारा किया गया है, जो कभी-कभी कई चरणों में चलने वाले राज्य चुनावों को आयोजित करने में होती हैं।