नई दिल्ली। मॉनेटरी पॉलिसी के बयान के अनुसार, फूड इंफ्लेशन जनवरी में 6 फीसदी से मामूली रूप से गिरकर फरवरी में 5.95 प्रतिशत हो गई। दिसंबर 2022 और फरवरी 2023 के बीच हाई इंफ्लेशन के प्राइमरी फैक्टर में से एक थी।
पोल में अनुमान 5.4 फीसदी से लेकर 6.4 प्रतिशत तक था, एक अर्थशास्त्री को छोड़कर, जिसने 6.4 फीसदी के आंकड़े की भविष्यवाणी की, अन्य सभी ने 6 प्रतिशत से नीचे की संख्या दी। यदि औसत पूर्वानुमान सच होता है, तो महंगाई 2022-23 के 12 महीनों में तीसरी बार भारतीय रिजर्व बैंक के इंफ्लेशन टारगेट लिमिट के अंदर ही रहेगी।
ये है जानकारों का अनुमान
बार्कलेज के इकोनॉमिस्ट राहुल बाजोरिया ने कहा कि फूड इंफ्लेशन में नरमी के बीच, उम्मीद हैं कि मार्च में सीपीआई को साल-दर-साल 5.7 फीसदी से कम हो सकती है। उन्होंने सालाना आधार पर, फूड इंफ्लेशन का अनुमान 4.8 फीसदी लगाया है। स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक के अर्थशास्त्रियों ने कहा कि महंगाई अप्रैल-जून में सब-5 फीसदी पर रहने की संभावना है।
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के अर्थशास्त्री सुजीत कुमार ने कहा कि सब्जियों और फ्यूल ने महंगाई को कम करने में मदद की है। वहीं कहा यह भी कहा जा रहा है कि तेल की कीमतें अपने हाल के लोअर लेवल से 20 फीसदी से अधिक बढ़ने के साथ, महंगाई फिर से बढ़ने के आसार हैं।
चीन में महंगाई एक प्रतिशत से नीचे
टीडी सिक्योरिटीज में उभरते बाजारों की रणनीति के प्रमुख मितुल कोटेचा ने कहा, “हमें लगता है कि आरबीआई का रुख कुछ हद तक रिस्की है, क्योंकि महंगाई बैंक की तुलना में कहीं अधिक स्टेबल देखने को मिली है। इस बीच, चीन की कंज्यूमर प्राइस इंफ्लेशन मार्च में एक फीसदी से कम है।
आधिकारिक आंकड़ों ने मंगलवार को कमजोर मांग का संकेत दिया क्योंकि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी अपने महामारी से पैदा हुई मंदी से उबरने की कोशिश कर रही है। देश के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो (NBS) के अनुसार, मार्च CPI एक महीने पहले देखे गए एक प्रतिशत से नीचे 0.7 फीसदी पर आ गया।