23 जुलाई से बजट सत्र प्रारम्भ हो रहा है, उससे पहले आज संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सर्वदलीय बैठक को सम्बोधित किया। राष्ट्रपति के अभिभाषण की तरह बजट सत्र भी हंगामेदार होने वाला है, विपक्ष के पास सरकार को घेरने के लिए बहुत से मुद्दे हैं, सरकार को भी इसका एहसास है तभी तो आज राजनाथ सिंह ने आज विपक्ष को एक तरह चेतावनी देते हुए पिछले सत्र की याद दिलाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के भाषणों में बाधा डालना लोकतान्त्रिक उसूलों के खिलाफ है. वहीँ किरन रिजुजू ने कहा कि संसद की कार्यवाई सुचारु रूप से चलाना जितनी सरकार की ज़िम्मेदारी है उतनी ही विपक्ष की भी है.
बता दें कि विपक्ष सत्र के दौरान कई मुद्दे उठाने के लिए अधीर रहा और सरकार से कहा कि लोकसभा में उपाध्यक्ष का पद परंपरा के अनुसार विपक्ष का है और इसे विपक्ष के उम्मीदवार से भरा जाना चाहिए। विपक्ष के पास सरकार से पूछने के लिए कई परेशान करने वाले सवाल हैं, लेकिन कांवड़ यात्रा मार्गों पर दुकानों पर नामपट्टिका लगाने के उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश पर जल्द ही हंगामा हो सकता है। विपक्षी दलों ने कहा कि वे चाहते हैं कि केंद्र हस्तक्षेप करे क्योंकि यह आदेश मुसलमानों के खिलाफ है।
विपक्षी दल जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों के फिर से शुरू होने, मणिपुर विवाद, उच्च शिक्षा की भयावह स्थिति, बढ़ती कीमतें, बेकाबू होते रोजगार की स्थिति और मानवीय विफलताओं के कारण बार-बार होने वाली रेल दुर्घटनाओं पर जवाब मांगने की योजना बना रहे हैं।
उच्च शिक्षा की स्थिति और नीट परीक्षा के पेपर लीक ने देश भर में चिंता पैदा कर दी है, जिस पर केंद्र का ध्यान जाना चाहिए। इस मुद्दे को फिर से जोरदार तरीके से उठाया जाएगा।
सत्तारूढ़ भाजपा से अलग हुए बीजू जनता दल (बीजद) अन्य विपक्षी दलों के साथ मिलकर ओडिशा के लिए विशेष दर्जे का मुद्दा उठाएगा, जो बिहार और आंध्र प्रदेश के लिए विशेष दर्जे की मांग कर रहे हैं, जिसका उद्देश्य राज्यों के लिए अतिरिक्त आर्थिक पैकेज प्राप्त करना है।