देशभर में व्यापारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने 18 अगस्त को घोषणा की कि इस साल राखी के त्यौहार पर त्योहारी कारोबार 12,000 करोड़ रुपये से अधिक होने की उम्मीद है। पिछले कई सालों से सिर्फ स्वदेशी राखियां ही बिक रही हैं और इस साल भी बाजार में चीनी राखियों की न तो मांग है और न ही मौजूदगी।
CAIT के राष्ट्रीय महासचिव और चांदनी चौक से सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने पिछले सालों में राखी की बिक्री में बढ़ोतरी पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि रक्षा बंधन के दौरान कारोबार 2018 में 3,000 करोड़ रुपये से लगातार बढ़कर इस साल 12,000 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है, जबकि पिछले साल यह 10,000 करोड़ रुपये था।
खंडेलवाल और CAIT के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया ने इस साल की अनूठी पेशकशों के बारे में बात की, जिसमें भारत भर के विभिन्न शहरों के प्रसिद्ध उत्पादों से विशेष राखियां बनाई जा रही हैं। इनमें नागपुर की खादी राखियाँ, जयपुर की सांगानेरी राखियाँ, पुणे की बीज राखियाँ, आदिवासी क्षेत्रों की बांस की राखियाँ, असम की चाय पत्ती की राखियाँ और कोलकाता की जूट की राखियाँ शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय गौरव थीम वाली राखियाँ, जैसे तिरंगा राखियाँ और भारत माता की राखियाँ भी काफ़ी माँग में हैं। CAIT ने कहा कि भारत में त्यौहारों का मौसम 19 अगस्त को रक्षा बंधन से शुरू होकर 15 नवंबर को तुलसी विवाह के साथ समाप्त होगा और इस दौरान 4 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा की बिक्री होने का अनुमान है।